Indian History : प्रिय विद्यार्थियों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal) आपके लिए लाया है “सातवाहन वंश (The Satvahana Dynasty)”
सातवाहन वंश (The Satvahana Dynasty)
सातवाहन राजवंश प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण राजवंश था जिसने मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद और गुप्त साम्राज्य के उदय से पहले दक्कन और मध्य भारत के बड़े हिस्से पर लगभग चार शताब्दियों तक शासन किया। इन्हें आंध्र भी कहा जाता है, हालांकि उनकी उत्पत्ति और आंध्र प्रदेश से उनका संबंध अभी भी इतिहासकारों के बीच बहस का विषय है। सातवाहन वंश की स्थापना सिमुक (या सिन्धुक/शिप्रक) ने 28 ईसा पूर्व में की थी। उन्होंने कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मा को मारकर मगध पर अपनी सत्ता स्थापित की। सातवाहनों ने लगभग 400-450 वर्षों तक शासन किया। सातवाहनों की प्रारंभिक राजधानी प्रतिष्ठान (आधुनिक पैठण) थी, जो महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। कुछ समय के लिए धान्यकटक (आधुनिक धरणीकोट) भी एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
महत्वपूर्ण शासक
i) सिमुक (73-60 ई.पू.) :- सातवाहन वंश के संस्थापक।
ii) शातकर्णी प्रथम :- सिमुक का पुत्र और एक शक्तिशाली शासक। उसने दो अश्वमेध यज्ञ और एक राजसूय यज्ञ करवाया, जिससे उसकी शक्ति का पता चलता है। नानाघाट अभिलेख उसकी रानी नागनिका के बारे में जानकारी देता है।
iii) हाला (20-24 ईस्वी) :- एक साहित्यिक राजा, जिसने प्राकृत भाषा में ‘गाथासप्तशती‘ नामक प्रसिद्ध काव्य संग्रह की रचना की।
iv) गौतमीपुत्र शातकर्णी (106-130 ईस्वी) :- सातवाहन वंश का सबसे महान शासक माना जाता है। उसने शकों, यवनों और पहलवों को हराया और सातवाहन शक्ति को पुनर्जीवित किया। उसकी माता गौतमी बलश्री के नासिक प्रशस्ति अभिलेख से उसके सैन्य विजयों और साम्राज्य की जानकारी मिलती है। उसे “त्रि-समुद्र-तोय-पीत-वाहन” (जिसके घोड़ों ने तीनों समुद्रों का पानी पीया हो) कहा गया है, जो उसके विशाल साम्राज्य का सूचक है।
v) वशिष्ठीपुत्र पुलुमयी (130-154 ईस्वी) :- गौतमीपुत्र शातकर्णी का पुत्र। उसके शासनकाल में सातवाहन साम्राज्य का विस्तार जारी रहा। उसने पैठण को अपनी नई राजधानी बनाया।
vi) यज्ञश्री शातकर्णी (165-194 ईस्वी) :- सातवाहन वंश के अंतिम महान शासकों में से एक। उसके सिक्के महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाए गए हैं, जिन पर जहाज का चित्र भी अंकित है, जो समुद्री व्यापार में उसकी रुचि को दर्शाता है।
सातवाहन साम्राज्य की प्रमुख विशेषताएँ
i) राजनीतिक स्थिरता :- सातवाहनों ने मौर्यों के पतन के बाद दक्कन में एक लंबी अवधि के लिए राजनीतिक स्थिरता प्रदान की और विदेशी आक्रमणकारियों, विशेष रूप से पश्चिमी क्षत्रपों का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।
ii) प्रशासन
• उनका प्रशासन मौर्यों की प्रणाली पर आधारित था, लेकिन कुछ स्थानीय विशेषताएं भी थीं।
• गाँव का मुखिया ‘गोलिक’ कहलाता था।
• सेनापति महत्वपूर्ण अधिकारी होते थे।
• उन्होंने ‘महासेनापति’ जैसे अधिकारियों को भी नियुक्त किया।
iii) अर्थव्यवस्था
• व्यापार और वाणिज्य अत्यधिक विकसित थे।
• रोमन साम्राज्य के साथ समुद्री व्यापार फला-फूला।
• विभिन्न वस्तुओं, विशेषकर वस्त्रों, मसालों और रत्नों का व्यापार होता था।
• उनके सिक्के सीसा, पोटिन, तांबा और चांदी से बने होते थे, जिनमें शासकों के चित्र अंकित होते थे।
iv) धर्म
• सातवाहन शासक ब्राह्मण थे और उन्होंने वैदिक धर्म और ब्राह्मणवाद को संरक्षण दिया। उन्होंने अश्वमेध और राजसूय जैसे यज्ञों का आयोजन किया।
• उन्होंने बौद्ध धर्म को भी संरक्षण दिया, खासकर महायान बौद्ध धर्म को।
• अमरावती और नागार्जुनकोंडा जैसे स्थल बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र बन गए।
v) समाज
• समाज में विभिन्न वर्णों का सह-अस्तित्व था।
• महिलाएँ समाज में सम्मानित थीं, जैसा कि रानी नागनिका और गौतमी बलश्री के उदाहरण से पता चलता है।
• मातृसत्तात्मक नामों का उपयोग (जैसे गौतमीपुत्र, वशिष्ठीपुत्र) प्रचलित था, हालांकि शासन पुरुष प्रधान ही था।
• शिल्पकारों और व्यापारियों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान था।
vi) कला और वास्तुकला
• सातवाहन कला और वास्तुकला, विशेषकर बौद्ध गुफाओं (चैत्य और विहार) और स्तूपों के निर्माण में उल्लेखनीय है।
• कार्ले, नासिक और भाजा की गुफाएँ (चैत्य और विहार) सातवाहन काल की उत्कृष्ट उदाहरण हैं। कार्ले का चैत्य हॉल अपनी विशालता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।
• अमरावती स्तूप और नागार्जुनकोंडा में बौद्ध कला और मूर्तिकला का विकास हुआ, जो अमरावती शैली के नाम से जानी जाती है। इस शैली में बुद्ध को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया गया है, न कि मानव रूप में (हालांकि बाद में मानव रूप में बुद्ध की मूर्तियाँ भी बनीं)।
• सांची स्तूप के कुछ तोरणद्वारों का विस्तार भी सातवाहन काल में हुआ।
vii) भाषा और साहित्य
• उनकी राजकीय भाषा प्राकृत थी और लिपि ब्राह्मी थी।
• राजा हाला द्वारा रचित ‘गाथासप्तशती’ प्राकृत साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
पतन
• यज्ञश्री शातकर्णी के बाद सातवाहन वंश कमजोर होने लगा।
• साम्राज्य छोटे-छोटे क्षेत्रीय शक्तियों में विखंडित हो गया।
• सातवाहनों के अंतिम राजा पुलुमावी चतुर्थ (लगभग 225 ईस्वी) के बाद उनका साम्राज्य पूरी तरह से बिखर गया।
• उनके उत्तराधिकारी के रूप में पश्चिमी दक्कन में आभीर, दक्षिण-पश्चिमी में चुटु और आंध्र प्रदेश में इक्ष्वाकु जैसे स्थानीय राजवंश उभरे।
One Liner Objectives
• सातवाहन वंश के संस्थापक कौन था ? उत्तर — शिमुक
• सातवाहन की राजधानी कहाँ थी ? उत्तर — प्रतिष्ठान (महाराष्ट्र) = गोदावरी नदी के तट पर स्थित
• प्रारंभ में सातवाहन वंश किस क्षेत्र में था ? उत्तर — महाराष्ट्र के क्षेत्र (शक राजाओं ने महाराष्ट्र छोड़ने पर विवश कर दिया)
• सातवाहन को कहाँ स्थानांतरित होना पड़ा ? उत्तर — आंध्र प्रदेश में (पुराण में आंध्र सातवाहन भी कहते हैं।)
• सातवाहनों की राजकीय भाषा क्या थी ? उत्तर — प्राकृत तथा लिपि ब्राह्मी
• सातवाहन वंश का पहला यशस्वी शासक किसे माना जाता था ? उत्तर — शातकर्णी प्रथम
• शातकर्णी प्रथम के शासन के संदर्भ में महत्वपूर्ण सूचनाएँ किस अभिलेख से प्राप्त होती है ? उत्तर — नानाघाट अभिलेख, पुणे से
• शातकर्णी प्रथम ने किन यज्ञों का सम्पादन किया था ? उत्तर — दो अश्वमेध तथा एक राजसूय यज्ञ का
• शातकर्णी प्रथम कौन-सी उपाधि धारण की थी ? उत्तर — “दक्षिणापथपति” तथा “अप्रतिहत् चक्र” की
• पुराणों के अनुसार शातकर्णी प्रथम तथा गौतमी पुत्र शातकर्णी के बीच शासन करने वाले कुल कितने सातवाहन राजाओं का विवरण मिलता है ? उत्तर — 10 से 19 तक
• सातवाहन वंश का सबसे योग्य शासक कौन था ? उत्तर — हाल
• शातकर्णी प्रथम के पश्चात सातवाहन वंश का कौन शासक बना जो अपनी शांतिप्रियता के लिए जाना जाता है ? उत्तर — हाल
• सातवाहन वंश का वह कौन-सा शासक था जो स्वयं बहुत बड़ा कवि तथा कवियों एवं विद्वानों का आश्रयदाता था ? उत्तर — हाल
• हाल ने प्राकृत भाषा में किस ग्रंथ की रचना की थी ? उत्तर — गाथासप्तशती
• हाल के राजदरबार में कौन से विद्वान रहते थे ? उत्तर — गुणाढ्य, शर्ववर्मन (गुणाढ्य ने बृहत्कथा एवं शर्ववर्मन ने कातन्त्र की रचना की)
गौतमी पुत्र शातकर्णी (106-130 CE)
• सातवाहन वंश का सबसे प्रतापी शासक कौन था ? उत्तर — गौतमी पुत्र शातकर्णी
• सातवाहन वंश के किस शासक ने सातवाहनों की खोई हुई शक्ति एवं प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त की थी ? उत्तर — गौतमीपुत्र शातकर्णी
• पुराणों के अनुसार गौतमीपुत्र शातकर्णी सातवाहन वंश का किस क्रम का शासक था ? उत्तर — 23वें
• गौतमीपुत्र शातकर्णी की सैनिक सफलताओं एवं अन्य कार्यों की जानकारी किन स्रोतों से प्राप्त होती है ? उत्तर — गौतमी बलश्री के नासिक प्रशस्ति और पुलुमावी के नासिक गुहालेख से
• नासिक प्रशस्ति में गौतमीपुत्र शातकर्णी को क्या कहा गया है ? उत्तर — वेदों का आश्रय (आगमाननिलय) तथा अद्वितीय ब्राह्मण (एकब्राह्मण)
• किसने ‘वेणाकटक स्वामी’ की उपाधि धारित की थी तथा वेणाकटक नामक नगर की स्थापना की थी ? उत्तर — गौतमीपुत्र शातकर्णी
• गौतमीपुत्र शातकर्णी ने कौन-2 सी उपाधियाँ धारण की थी ? उत्तर — राजराज, महाराज, स्वामी आदि
• किस अभिलेख में गौतमीपुत्र शातकर्णी को “पर्वतों का स्वामी” कहा गया है ? उत्तर — नासिक अभिलेख
• किस प्रशस्ति में बतलाया गया है कि गौतमीपुत्र शातकर्णी के घोड़ों ने तीनों समुद्रों का पानी पिया था ? उत्तर — नासिक प्रशस्ति
• गौतमी पुत्र शातकर्णी ने ‘अजकालकिया’ तथा कार्ले के बौद्ध भिक्षुसंघ को कौन-सा ग्राम दान दिया था ? उत्तर — करजक नामक ग्राम
• किस अभिलेख में गौतमीपुत्र शातकर्णी के संदर्भ में कथन हैं कि उसने ‘शक, यवन तथा पहलवों का विनाश किया तथा क्षहरात कुल का उन्मूलन किया एवं सातवाहन कुल की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया ? उत्तर — पुलुमावी के नासिक अभिलेख से
• किस स्थल से प्राप्त मुद्राओं के आधार पर यह सिद्ध होता है कि गौतमीपुत्र शातकर्णी ने क्षहरात शासक नहपान को पराजित किया था ? उत्तर — जोगलथम्बी मुद्राभाण्ड (नासिक) से
• किस सातवाहन शासक को ‘द्विजों तथा द्विजेतर जातियों के कुलों का वर्धन करने वाला (द्विजावरकुटुब विवधन) कहा गया है ? उत्तर — गौतमी पुत्र शातकर्णी
वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी (130-154 CE)
• वाशिष्ठीपुत्र पुलुमावी को पुराणों में क्या कहा गया है ? उत्तर — पुलोमा पुरोमानि अथवा पुलोमावि
• किस सातवाहन शासक को प्रथम आंध्र सम्राट कहा गया है ? उत्तर — वाशिष्ठीपुत्र पुलुमावी
• किस शक शासक ने वाशिष्ठीपुत्र पुलुमावी को पराजित कर दिया था ? उत्तर — रुद्रदामन (किंतु दोनों के बीच वैवाहिक संबंध स्थापित हो गए)
• आन्ध्र प्रदेश पर आधिपत्य स्थापित करने के पश्चात वाशिष्ठीपुत्र पुलुमावी ने कौन सी उपाधि धारण की थी ? उत्तर — दक्षिणापथेश्वर की
यज्ञ श्री शातकर्णी (165-193 CE)
• सातवाहन वंश का अंतिम महत्वपूर्ण शासक कौन था ? उत्तर — यज्ञश्री ज्ञातकर्णी
• किस सातवाहन शासक के सिक्के पर ‘जलपोत के चिन्ह’ उत्कीर्ण मिलते हैं ? उत्तर — यज्ञश्री ज्ञातकर्णी
• सातवाहन वंश का अंतिम शासक कौन था ? उत्तर — पुलुमावी IV
प्रशासनिक, सामाजिक, कला और संस्कृति
• सातवाहन के शासकों ने किस तरह की उपाधियाँ धारण की थी ? उत्तर — राजन, राजराज, महाराज एवं स्वामिन की
• सातवाहन रानियाँ किस तरह की उपाधियाँ धारण की थी ? उत्तर — देवी, महादेवी
• सातवाहन काल में किन दो रानियों ने प्रशासन में सक्रिय रूप से भाग लिया था ? उत्तर — नागनिक (शातकर्णी प्रथम की रानी) तथा गौतमीबलश्री (गौतमीपुत्र शातकर्णी की माता)
• ‘महारठी’ तथा ‘महाभोज’ जैसे बड़े सामन्तों का उल्लेख किस अभिलेख में किया गया है ? उत्तर — कार्ले तथा कन्हेरी के लेख से
• प्रशासन की सुविधा के लिए सातवाहन साम्राज्य को अनेक विभागों में बाँटा गया था जिन्हें क्या कहा जाता था ? उत्तर — आहार (अमात्य के अधीन)
• सातवाहन राजाओं ने ब्राह्मणों तथा श्रमणों को कर मुक्त भूमि दान में दिया था जो कालान्तर में किसका जन्म दिया था ? उत्तर — सामन्तवाद को
• सातवाहन समाज में महिलाओं की अच्छी स्थिति किस तरह से प्रदर्शित होती है ? उत्तर — शासकों का नाम मातृ प्रधान होना
• सातवाहन नरेश किस धर्म के अनुयायी थे ? उत्तर — वैदिक (ब्राह्मण) धर्म
• सातवाहन राजपरिवार की महिलाएँ किस धर्म को प्रश्रय देती थी ? उत्तर — बौद्ध धर्म को
• भारत में भूमि अनुदान का प्राचीनतम अभिलेखीय स्वरूप किस काल से प्राप्त होता है ? उत्तर — सातवाहन काल
• सातवाहन काल में कृषि उपज का कितना भाग कर के रूप में लिया जाता था ? उत्तर — 1/6 भाग
• सातवाहन शासकों ने किन मुद्राओं का प्रचलन किया था ? उत्तर — चाँदी, ताँबे, सीसा, पोटीन और काँसे
• सातवाहन काल में कौन-कौन बंदरगाह अवस्थित थे ? उत्तर — पूर्वी तट पर कन्टकोस्सील, कोंद्दूर, अल्लोसिंगे जबकि पश्चिमी तट पर बेटीगाजा (भड़ौच), सोपारा, कल्यान
• अमरावती स्तूप भारतीय वास्तुकला की थी ? उत्तर — सर्वोत्तम कृति
• लेखों में अमरावती का प्राचीन नाम क्या मिलता है ? उत्तर — धान्यकटक
• इक्ष्वाकु नरेश मराठी पुत्र वीरपुरुष दत्त के शासन काल में किस महास्तूप का निर्माण एवं संवर्धन हुआ था ? उत्तर — नागार्जुनीकोंड
• हीनयान धर्म से संबंधित प्रमुख चैत्यगृह है ? उत्तर — भाजा, कोंडाने, पीतलखोरा, अजंता (नवीं-दसवीं गुफा), बेडसा, नासिक तथा कार्ले
सातवाहन साम्राज्य का विघटन
• सातवाहन साम्राज्य के पतन के पश्चात दक्षिण-पश्चिम भारत में किन राजवंशों ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित की थी ? उत्तर — इक्ष्वाकु (श्रीपर्वतीय आन्ध्र), आभीर (नासिक प्रदेश), चुटुशातकर्णी-वंश (कुन्तल प्रदेश, कर्नाटक)
• आभीर वंश की स्थापना किसने की थी ? उत्तर — ईश्वरसेन ने
• ईश्वरसेन ने कलचुरि चेदि संवत् की स्थापना कब की थी ? उत्तर — 248-49 CE में
• इक्ष्वाकु वंश की स्थापना किसने की थी ? उत्तर — श्रीशान्तमूल ने (अश्वमेध यज्ञ भी किया था)
• पुराणों में इक्ष्वाकु वंशीय शासकों को क्या कहा गया है ? उत्तर — श्रीपर्वतीय (श्रीपर्वत का शासक) तथा आन्ध्रभृत्य (आन्ध्रों का नौकर)
• इक्ष्वाकु वंशीय शासक किसके सामन्त थे ? उत्तर — सातवाहन के
• इक्ष्वाकु वंशीय शासक किस मत के पोषक थे ? उत्तर — बौद्ध मत के
• इक्ष्वाकु शासन की समाप्ति किस राजवंश ने की थी ? उत्तर — पल्लवों (कांची) ने
• चुटुशातकर्णी वंश के शासन की समाप्ति किसने किया था ? उत्तर — कम्दबों ने
• कृष्णा तथा मूसलीपट्टम के बीच बृहत्फलायन राजवंश था जिसकी राजधानी क्या थी ? उत्तर — पिथुन्ड
• कृष्णा और गोदावरी के बीच शालंकायन राजवंश था जिसकी राजधानी क्या थी ? उत्तर — वेंगी
– : समाप्त : –