Indian History : विदेशी आक्रमण (Foreign Invasion)

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विदेशी आक्रमण (Foreign Invasion)

हखामनी साम्राज्य (Achaemenid Empire) का भारत पर आक्रमण

हखामनी साम्राज्य (Achaemenid Empire) प्राचीन ईरान का एक शक्तिशाली साम्राज्य था, जिसने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत के पश्चिमोत्तर भागों पर आक्रमण किया था। यह भारत पर पहला विदेशी आक्रमण माना जाता है।

• हखामनी शासकों में दो प्रमुख शासकों ने भारत पर आक्रमण किया –

i) साइरस द्वितीय (महान) (Cyrus the Great) (558 ईसा पूर्व – 529 ईसा पूर्व)
• साइरस हखामनी साम्राज्य का संस्थापक था। उसने 550 ईसा पूर्व के लगभग भारत पर आक्रमण का एक असफल प्रयास किया था। टेसियस, स्ट्रैबो और एरियन जैसे रोमन लेखकों के लेखों से इसकी जानकारी मिलती है। भारत में सर्वप्रथम इसी को विदेशी आक्रमण माना जाता है। हालांकि, उसका यह अभियान पूरी तरह सफल नहीं रहा।

ii) डेरियस प्रथम (दारा प्रथम) (Darius I) (522 ईसा पूर्व – 486 ईसा पूर्व)
• डेरियस प्रथम को भारत पर आक्रमण करने में पहली महत्वपूर्ण सफलता मिली। उसने 516 ईसा पूर्व में सर्वप्रथम गांधार (जो वर्तमान में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों को कवर करता है) को जीतकर अपने फारसी साम्राज्य में मिलाया।
• दारा के तीन अभिलेखों – बेहिस्तून, पर्सिपोलिस और नक्शेरूस्तम – से यह जानकारी मिलती है कि उसने सिंधु नदी के तटवर्ती भारतीय भू-भागों पर अधिकार कर लिया था।
• ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस के अनुसार, भारत का पश्चिमोत्तर भाग दारा के साम्राज्य का 20वां प्रांत था। यह प्रांत सबसे समृद्ध था और दारा को अपने कुल राजस्व का तीसरा भाग (360 टैलेंट सोना) कर के रूप में प्राप्त होता था।
• दारा प्रथम ने अपने यूनानी सेनापति स्काईलैक्स को सिंधु से भारतीय समुद्र में उतरकर अरब और मकरान तटों का पता लगाने के लिए भेजा था, जिससे समुद्री व्यापार मार्गों की भी खोज हुई।
• कंबोज और गांधार पर भी उसका अधिकार था।

iii) जर्क्सीज (Xerxes) (486 ईसा पूर्व – 465 ईसा पूर्व)
• डेरियस प्रथम का उत्तराधिकारी जर्क्सीज भी भारतीय प्रदेशों पर अपना प्रभाव बनाए रखा। हेरोडोटस के अनुसार, जर्क्सीज ने यूनानी युद्धों में भारतीय सैनिकों का भी इस्तेमाल किया था, जिनके वस्त्र सूती के थे।

iv) डेरियस तृतीय (Darius III)
• हखामनी साम्राज्य का अंतिम शासक डेरियस तृतीय था। उसे 330 ईसा पूर्व में सिकंदर ने अरबेला (गौगामेला) के युद्ध में पराजित किया था। इस हार के साथ ही भारत से हखामनी आधिपत्य समाप्त हो गया और सिकंदर के आक्रमण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आक्रमण के कारण

i) राजनीतिक अस्थिरता :- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत का पश्चिमोत्तर भाग छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था, जिनमें आपसी एकता का अभाव था। मगध का प्रभाव अभी तक इन क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाया था। इस राजनीतिक बिखराव ने हखामनी शासकों को आक्रमण के लिए प्रोत्साहित किया।
ii) आर्थिक लाभ :- भारत का पश्चिमोत्तर क्षेत्र, विशेषकर सिंधु घाटी, अत्यंत समृद्ध था। हखामनी शासक इस क्षेत्र के धन और संसाधनों पर कब्जा करना चाहते थे।
iii) साम्राज्य विस्तार की महत्वाकांक्षा :- हखामनी शासक एक विशाल साम्राज्य का निर्माण करना चाहते थे और भारत की ओर उनका विस्तार इसी महत्वाकांक्षा का हिस्सा था।

भारत पर हखामनी आक्रमण के प्रभाव

i) राजनीतिक प्रभाव :- इस आक्रमण ने भारत की पश्चिमी सीमांत की कमजोरी को उजागर किया, जिसने बाद में सिकंदर के लिए भारत पर आक्रमण का मार्ग प्रशस्त किया। फारसियों द्वारा शुरू की गई ‘क्षत्रप’ प्रणाली ने बाद के भारतीय राजवंशों, विशेषकर शक और कुषाणों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य किया।
ii) सांस्कृतिक प्रभाव
a) लिपि का विकास :- पश्चिमोत्तर भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रचार हुआ, जो दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी और ईरानी आरमेइक लिपि से प्रभावित थी।
b) कला और स्थापत्य :- मौर्यकालीन वास्तुकला पर कुछ हद तक ईरानी प्रभाव देखा जा सकता है, विशेषकर मौर्य स्तंभों पर।
c) व्यापार और वाणिज्य :- भारत और ईरान के बीच व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिला। उत्तर-पश्चिमी सीमांत क्षेत्र में ईरानी सिक्के भी पाए गए हैं।
d) ज्ञान का आदान-प्रदान :- ईरानी संस्कृति और भारतीय संस्कृति के बीच संपर्क से विचारों और ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ।
e) अभिलेख उत्कीर्ण करने की प्रथा :- अभिलेख उत्कीर्ण करने की प्रथा ईरान से भारत में आई।

• ईरान में हखामनी साम्राज्य की स्थापना किसने की थी ? उत्तर — कुरुष अथवा साइरस द्वितीय (558-529 BCE)
• भारत के किसी प्रदेश पर अधिकार (गांधार तथा कम्बोज) करने वाला पहला पारसी शासक कौन था ? उत्तर — दारा या डेरियस प्रथम (शासनकाल 522-486 BCE)
• डेरियस प्रथम के बाद फारस का शासक कौन बना ? उत्तर — जेरेक्स प्रथम
• जेरेक्स प्रथम के बाद फारस का शासक कौन बना ? उत्तर — डेरियस तृतीय
• हखामनी वंश के अंतिम शासक डेरियस तृतीय को किसने पराजित कर दिया और हखामनी वंश का अंत कर दिया ? उत्तर — सिकंदर ने
• दारा प्रथम के शासन काल के वे कौन से तीन अभिलेख है, जिनसे भारत पारसीक संबंध के विषय में महत्वपूर्ण सूचना मिलती है ? उत्तर — बेहिस्तून, पार्सिपोलिस, नक्श-ए-रुस्तम
• किस इतिहासकार के विवरण से ज्ञात होता है कि भारत, दारा प्रथम के साम्राज्य का बीसवां प्रान्त था ? उत्तर — हेरोडोटस के विवरण से
• पारसीक संपर्क के परिणामस्वरूप भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेशों में किस नई लिपि का जन्म हुआ था ? उत्तर — खरोष्ठी लिपि का
• फारसी स्वर्ण मुद्रा तथा रजत मुद्रा को किस नाम से जाना जाता था ? उत्तर — डेरिक (स्वर्ण मुद्रा), सिग्लोई (रजत मुद्रा)

सिकंदर का भारत पर आक्रमण

सिकंदर (अलेक्जेंडर द ग्रेट) का भारत पर आक्रमण प्राचीन भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। 326 ईसा पूर्व में सिकंदर ने भारत के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत पर आक्रमण किया था। सिकंदर मैसेडोनिया (यूनान) का राजा था। वह एक महान विजेता था और उसका सपना पूरी दुनिया को जीतना था। उसने फारसी हखामनी साम्राज्य को हराया था और उसके बाद उसका अगला लक्ष्य भारत था।

भारत पर आक्रमण के कारण

i) विश्व विजय की महत्वाकांक्षा :- सिकंदर पूरी दुनिया को जीतना चाहता था, और भारत उस समय के ज्ञात विश्व का पूर्वी छोर था।
ii) धन और समृद्धि :- भारत अपनी अपार धन-संपदा के लिए प्रसिद्ध था, जिसने सिकंदर को आकर्षित किया।
iii) हखामनी साम्राज्य की विरासत :- सिकंदर ने हखामनी साम्राज्य पर विजय प्राप्त की थी, जिसके साम्राज्य में भारत का पश्चिमोत्तर भाग भी शामिल था। इस प्रकार, भारत पर आक्रमण उसके साम्राज्य विस्तार का एक स्वाभाविक अगला कदम था।
iv) राजनीतिक फूट :- उस समय भारत का पश्चिमोत्तर भाग छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था और उनमें आपसी एकता का अभाव था। तक्षशिला का शासक आम्भी जैसे कुछ शासकों ने सिकंदर का साथ भी दिया।

आक्रमण का मार्ग और प्रमुख युद्ध

i) काबुल घाटी से प्रवेश :- सिकंदर ने 327 ईसा पूर्व में हिंदुकुश पर्वत को पार करके काबुल घाटी के रास्ते भारत में प्रवेश किया।
ii) अस्पेसियों और अस्साकेनोई से संघर्ष :- उसने सबसे पहले सीमावर्ती जनजातियों जैसे अस्पेसियों (अश्वकायनों) और अस्साकेनोई (अश्वकों) को हराया। मस्सगा का युद्ध (अस्साकेनोई की राजधानी) काफी भीषण था।
iii) तक्षशिला में आगमन :- सिकंदर जब तक्षशिला पहुंचा, तो वहां के शासक आम्भी ने बिना किसी प्रतिरोध के उसकी अधीनता स्वीकार कर ली और उसे सहायता भी प्रदान की।

iv) झेलम नदी का युद्ध (हाइडेस्पेस का युद्ध)
• यह सिकंदर के भारत अभियान का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण युद्ध था।
• यह युद्ध 326 ईसा पूर्व में झेलम (प्राचीन नाम वितस्ता या हाइडेस्पेस) नदी के तट पर सिकंदर और पोरस (पुरु) के बीच हुआ।
• पोरस, जो पौरव राज्य का शासक था, एक साहसी और पराक्रमी योद्धा था। उसने अपनी सेना में हाथियों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।
• कठिन संघर्ष के बाद, सिकंदर की जीत हुई, लेकिन पोरस की वीरता से वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को उसका राज्य वापस कर दिया और उसे अपना सहयोगी बना लिया।

v) व्यास नदी तक आगे बढ़ना :- झेलम के बाद सिकंदर ने चिनाब (असिनी) और रावी (परुष्णी) नदियों को पार किया। जब उसकी सेना व्यास (विपाशा) नदी तक पहुंची, तो उसके सैनिकों ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया।
vi) सैनिकों का विद्रोह :- सिकंदर के सैनिक लगातार युद्धों से थक चुके थे और उन्होंने घर लौटने की इच्छा व्यक्त की। उन्हें यह भी खबर मिली थी कि गंगा घाटी में नंद साम्राज्य एक विशाल सेना के साथ उनका इंतजार कर रहा है, जिससे वे भयभीत थे। सिकंदर ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने।
vii) वापसी का निर्णय :- अंततः, सिकंदर को अपने सैनिकों के सामने झुकना पड़ा और उसने वापसी का निर्णय लिया।

सिकंदर की वापसी

• जल और स्थल मार्ग से वापसी :- 325 ईसा पूर्व में सिकंदर ने भारत से वापसी शुरू की। उसने अपनी सेना को दो भागों में बांटा –
a) एक भाग को नेरार्कस के नेतृत्व में समुद्री मार्ग से भेजा गया, जिसने सिंधु नदी के मुहाने से अरब सागर तक का सफर तय किया।
b) दूसरा भाग, जिसमें सिकंदर स्वयं था, स्थल मार्ग से मकरान तट के रास्ते वापस चला गया। सिकंदर की 323 ईसा पूर्व में बेबिलोन में मृत्यु हो गई।

सिकंदर के आक्रमण के प्रभाव
i) राजनीतिक प्रभाव
a) भारत की एकता का अभाव उजागर :- इस आक्रमण ने भारत के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में व्याप्त राजनीतिक विखंडन और राज्यों के बीच आपसी एकता की कमी को उजागर किया।
b) मौर्य साम्राज्य के उदय का मार्ग प्रशस्त :- सिकंदर के जाने के बाद, उसके द्वारा विजित क्षेत्रों में राजनीतिक शून्य पैदा हुआ। यह स्थिति चंद्रगुप्त मौर्य को एक विशाल साम्राज्य स्थापित करने में सहायक सिद्ध हुई।
c) पश्चिमोत्तर में विदेशी शासन की समाप्ति :- सिकंदर के आक्रमण ने भारत पर हखामनी साम्राज्य के प्रभाव को पूरी तरह समाप्त कर दिया।

ii) आर्थिक प्रभाव
a) नए व्यापारिक मार्गों की खोज :- सिकंदर के अभियान से यूरोप और भारत के बीच चार नए समुद्री और स्थलीय मार्गों की खोज हुई, जिससे भविष्य में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला।
b) वाणिज्यिक संबंध स्थापित :- यूनानी व्यापारियों और सैनिकों के आने से भारत और यूनान के बीच सीधे व्यापारिक संबंध स्थापित हुए।

iii) सांस्कृतिक प्रभाव
a) गांधार कला :- भारत में यूनानी और भारतीय कला शैलियों के मिश्रण से गांधार कला शैली का विकास हुआ, जो विशेष रूप से बुद्ध की मूर्तियों के निर्माण में परिलक्षित होती है।
b) खरोष्ठी लिपि का प्रसार :- पश्चिमोत्तर भारत में यूनानी प्रभाव के कारण खरोष्ठी लिपि (जो दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी) का भी प्रसार हुआ।
c) काल-निर्धारण में सहायता :- यूनानी विवरणों ने भारतीय इतिहास के काल-निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि यूनानी इतिहास लेखन अधिक सटीक था।

iv) ऐतिहासिक प्रभाव
सिकंदर के आक्रमण से संबंधित यूनानी लेखकों के वृत्तांत भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं, क्योंकि उस काल के भारतीय लिखित स्रोत अपेक्षाकृत कम उपलब्ध हैं।

सिकंदर का आक्रमण भले ही भारतीय उपमहाद्वीप के बहुत बड़े हिस्से को प्रभावित न कर पाया हो, लेकिन इसने भारतीय इतिहास, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव डाला।

• सिकंदर कहाँ का निवासी था ? उत्तर — मेसिडोनिया का
• सिकंदर का जन्म कब हुआ था ? उत्तर — 356 BCE में मेसिडोनिया के पेला में
• सिकंदर किसका पुत्र था ? उत्तर — यूनान के राजा फिलिप द्वितीय का
• सिकंदर के माता का नाम क्या था ? उत्तर — ओलम्पिया
• सिकंदर का मूल नाम क्या था ? उत्तर — एलेक्जेंडर मेसिडोनियन
• सिकंदर के पत्नी का नाम क्या था ? उत्तर — रूखसाना / रेक्सोना ( पिता फारसी शासक शाहदारा )
• सिकंदर के घोड़े का नाम क्या था ? उत्तर — बुफेकराल / ब्यूसेफेलरू / बऊकेफला
• सिकंदर के गुरु का नाम क्या था ? उत्तर — अरस्तु
• अरस्तु के गुरु प्लेटो थे, जिनको क्या कहा जाता था ? उत्तर — अफलातून
• प्लेटो के गुरु कौन थे ? उत्तर — सुकरात
• भारत में सिकंदर का सबसे पहला सामना किससे हुआ था ? उत्तर — तक्षशिला के राजकुमार आम्भिक से ( सिकंदर की अधीनता स्वीकार ली )
• सिकंदर ने ईरान और अफगानिस्तान पर विजय कब प्राप्त किया था ? उत्तर — 328 BCE
• पंजाब के राजा पुरु (पोरस) और सिकंदर के बीच हाइडेस्पीज का युद्ध किस नदी के तट पर युद्ध हुआ था ? उत्तर — झेलम नदी ( पोरस हार गए )
• सिकंदर की मृत्यु कब हुई थी ? उत्तर — 323 BCE में ईराक के बेबिलोन में डायरिया होने के कारण
• सिकंदर भारत में कितने समय तक रहा था ? उत्तर — लगभग 19 महीने
• सिकंदर के साथ भारत आनेवाला लेखक थे ? उत्तर — निर्याकस, आने सिक्रेटस, ऑस्टिबुलस
• सिकंदर किस दर्रा को पार करके भारत आया था ? उत्तर — हिन्दुकुश पर्वत (खैबर दर्रा)
• सिकंदर की सेना ने किस नदी को पार करने से मना कर दिया ? उत्तर — व्यास नदी (हाइफेनिया)
• सिकंदर का थल सेना तथा जल सेना का सेनापति कौन था ? उत्तर — सेल्युकस निकेटर और निर्याकस
• सिकंदर को पूरी दुनिया जीतने का सपना किसने दिखाया था ? उत्तर — उसके गुरु अरस्तु ने
• सिकंदर ने जीत हासिल की थी ? उत्तर — एशिया माईनर (तुर्की), सीरिया, मिस्र, इराक, ईरान, सिंध, गांधार, कम्बोज
• युद्ध-भूमि में बड़ी संख्या में सैनिकों के मारे जाने अथवा आहत हो जाने के बाद किस भारतीय गण अथवा राज्य की स्त्रियों ने सिकंदर के विरुद्ध शस्त्र धारण किया था ? उत्तर — मस्सग (अश्वक राज्य) के

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