Indian History : महाजनपद काल (The Mahajanpad Period)

Indian History : प्रिय विद्यार्थियों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal) आपके लिए लाया है “महाजनपद काल (The Mahajanpad Period)”

महाजनपद काल (The Mahajanpad Period)

महाजनपद काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग है, जो लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से मौर्य साम्राज्य के उदय तक फैला हुआ था । इसे द्वितीय नगरीकरण का काल भी कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान कई बड़े शहरों और राज्यों का उदय हुआ।

महाजनपद का अर्थ और उदय

‘जनपद’ का अर्थ ‘राज्य’ या ‘क्षेत्र’ से है, और ‘महाजनपद’ का अर्थ ‘महान देश’ या ‘बड़े राज्य’ से है। उत्तर वैदिक काल में छोटे-छोटे जनपद थे, लेकिन लौह प्रौद्योगिकी के विकास और कृषि में वृद्धि के कारण इन जनपदों का विस्तार हुआ और वे शक्तिशाली महाजनपदों में परिवर्तित हो गए। बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय और जैन ग्रंथ भगवतीसूत्र में 16 प्रमुख महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।

महाजनपद             राजधानी                 आधुनिक क्षेत्र

1) अंग                    चंपा (मालिनी)              भागलपुर, मुंगेर
2) मगध                गिरिब्रज / राजगृह         पटना, गया
3) काशी                   वाराणसी                     वाराणसी
4) वत्स                   कौशाम्बी                   इलाहाबाद
5) वज्जि        वैशाली /विदेह/मिथिला          मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा
6) कोसल                श्रावस्ती                      फैजाबाद (UP)
7) अवन्ति           उज्जैन/महिष्मती            मालवा (MP)
8) मल्ल               कुशावती/पावा               देवरिया (UP)
9) पांचाल         अहिच्छत्र, काम्पिल्य        बरेली, बदायूँ, फर्रूखाबाद (UP)
10) चेदि या चेति      शक्तिमती                  बुंदेलखंड (UP)
11)  कुरु                   इन्द्रप्रस्थ                  दिल्ली, मेरठ एवं हरियाणा
12)  मत्स्य                विराटनगर                   जयपुर
13) कम्बोज         हाटक/राजपुर              J&K, पाकिस्तान, अफगानिस्तान
14) शूरसेन                  मथुरा                     मथुरा (UP)
15) अश्मक            पोटली/पोतन               गोदावरी नदी (दक्षिण भारत)
16) गान्धार               तक्षशिला                  रावलपिंडी एवं पेशावर (पाकिस्तान)

महाजनपदों की प्रमुख विशेषताएँ

1) राजधानी और किलेबंदी :- अधिकतर महाजनपदों की एक राजधानी होती थी, जो अक्सर किलेबंद होती थी। इन किलों के चारों ओर लकड़ी, ईंट या पत्थर की ऊंची दीवारें बनाई जाती थीं।

2) शक्तिशाली राजा और सेना :- महाजनपदों के राजा शक्तिशाली होते थे और बड़ी सेनाएँ रखते थे। सिपाहियों को नियमित वेतन दिया जाता था।

3) कर प्रणाली :- राजा अपने राज्य के संचालन और सेना के रखरखाव के लिए लोगों से नियमित रूप से कर वसूलते थे। भू-राजस्व उपज का छठे से बारहवें भाग तक होता था।

4) शासन प्रणाली :- अधिकांश महाजनपदों में राजतंत्र प्रणाली प्रचलित थी, जहाँ सत्ता राजा के पास वंशानुगत होती थी। हालांकि, कुछ महाजनपद गणराज्य या संघ भी थे, जहाँ शासन एक समूह द्वारा किया जाता था, और इस समूह का प्रत्येक सदस्य ‘राजा’ कहलाता था।

5) आर्थिक विकास :- इस काल में कृषि का विकास हुआ, जिसमें लोहे के हल का उपयोग बढ़ा, जिससे कृषि उपज में वृद्धि हुई। व्यापार और वाणिज्य भी उन्नत अवस्था में था, और सिक्कों का प्रयोग बढ़ने लगा।

6) धार्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तन :- महाजनपद काल धार्मिक और सांस्कृतिक बदलावों का भी काल था। इसी दौरान गौतम बुद्ध और महावीर जैसे महान धर्म सुधारकों का उदय हुआ, जिन्होंने नए धार्मिक विचारों को जन्म दिया।

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन

i) सामाजिक जीवन :- समाज में वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी, जिसका आधार जन्म था। ब्राह्मणों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान था। शहरी केंद्रों के विकास के साथ-साथ व्यापारिक समुदायों का भी उदय हुआ।

ii) आर्थिक जीवन :- कृषि मुख्य व्यवसाय था, जिसमें लोहे के औजारों के उपयोग से क्रांति आई। व्यापार और वाणिज्य भी महत्वपूर्ण थे, और नदियों तथा भूमि मार्गों से व्यापार होता था। सिक्कों का प्रचलन बढ़ा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आई।

iii) राजनीतिक जीवन :- राजतंत्रों में राजा सर्वोपरि होता था, जिसे दैवीय रूप से नियुक्त माना जाता था। प्रशासन की एक जटिल प्रणाली विकसित हुई, जिसमें विभिन्न अधिकारी राजस्व संग्रह, न्याय और सेना के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार थे। गणराज्यों में सामूहिक शासन होता था।

महाजनपदों का पतन

महाजनपदों के बीच शक्ति और क्षेत्रीय वर्चस्व के लिए प्रतिस्पर्धा होती रही। अंततः, मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में उभरा और उसने अन्य महाजनपदों को अपने अधीन कर लिया। मौर्य साम्राज्य की स्थापना के साथ, महाजनपदों का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो गया, और एक बड़े केंद्रीकृत साम्राज्य का उदय हुआ।

महाजनपद काल भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण संक्रमण काल था, जिसने छोटे जनजातीय समाजों से बड़े राज्यों और अंततः एक साम्राज्य के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

1. किस बौद्ध ग्रंथ में 16 महाजनपदों का उल्लेख किया गया है ? उत्तर — अंगुतर निकाय में
2. किस जैन ग्रंथ में 16 महाजनपदों का उल्लेख किया गया है ? उत्तर — भगवती सूत्र में
3. लिच्छिवियों ने विश्व का पहला गणतंत्र कहाँ स्थापित किया था ? उत्तर — वैशाली में
4. कौटिल्य ने कम्बोजो को क्या कहा है ? उत्तर — वार्ताशस्त्रोपजीवी संघ अर्थात कृषि, पशुपालन, वाणिज्य तथा शस्त्र द्वारा जीविका चलाने वाला
5. प्राचीन समय में कम्बोज किसके लिए विख्यात था ? उत्तर — अपने श्रेष्ठ घोड़ों के लिए
6. बुद्ध के समकालीन महाजनपद शासक थे ? उत्तर — प्रद्योत (अवन्ति), उदयन (वत्स), प्रसेनजित (कोशल), अजातशत्रु (मगध)
7. सबसे शक्तिशाली महाजनपद कौन था ? उत्तर — मगध
8. पुराणों के अनुसार मगध पर शासन करने वाला पहला राजवंश कौन था ? उत्तर — बृहद्रथ वंश
9. बृहद्रथ वंश के किस राजा ने राजगृह को अपनी राजधानी बनाया था ? उत्तर — जरासंध ने
10. जरासंध किसके हाथों मारा गया था ? उत्तर — मल्ल युद्ध में भीम के हाथों
11. बृहद्रथ वंश का अंतिम शासक कौन था ? उत्तर — रिपुंजय
12. राजस्थान के मरूस्थलीय क्षेत्र में स्थित एक मात्र महाजनपद था ? उत्तर — मत्स्य
13. मगध महाजनपद पर कुल किन 7 राजवंशों ने शासन किया ? उत्तर — हर्यंक, शिशुनाग, नंद, मौर्य, शुंग, कर्णव, सातवाहन {हसीन माशुका सात}

– : समाप्त : –

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top