Indian History : प्रिय विद्यार्थियों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal) आपके लिए लाया है “पहलव वंश (Indo-Parthian)”
पहलव वंश (Indo-Parthian)
हिन्द-पार्थियन साम्राज्य, जिसे अक्सर पहलव राजवंश भी कहा जाता है, पार्थियन साम्राज्य की एक शाखा थी जिसने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों पर शासन किया था।
उत्पत्ति और उदय
• हिन्द-पार्थियन मूल रूप से ईरानी पठार के पार्थियन साम्राज्य से संबंधित थे। वे सिथियन (शक) और यूनानियों (इंडो-यूनानियों) के बाद भारत आए। पहली शताब्दी ईस्वी के शुरुआती दशकों में, वे धीरे-धीरे आधुनिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में अपने प्रभाव का विस्तार करने लगे। उन्होंने इंडो-यूनानियों को उनके अंतिम गढ़ों से विस्थापित किया और बाद में कुछ इंडो-सिथियन शासकों को भी हराया।
शासन क्षेत्र
• हिन्द-पार्थियन साम्राज्य का मुख्य क्षेत्र पूर्वी ईरान (सिस्तान), अफगानिस्तान के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से और भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र (आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान के हिस्से) थे। उनकी राजधानी संभवतः तक्षशिला (आधुनिक पाकिस्तान) में थी, जो उस समय व्यापार और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
प्रमुख शासक
i) गोंडोफर्स I (लगभग 19 – 46 ईस्वी) :- उन्हें हिन्द-पार्थियन साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण और संस्थापक शासक माना जाता है। कुछ सिक्कों पर उन्हें “देवव्रत” की उपाधि से संदर्भित किया गया है, जो उनकी धार्मिक झुकाव को दर्शाता है। ईसाई परंपरा के अनुसार, सेंट थॉमस, ईसा मसीह के प्रेरित, गोंडोफर्स के दरबार में आए थे और उन्होंने उनके शासनकाल के दौरान ईसाई धर्म का प्रचार किया था। यह कहानी “द एक्ट्स ऑफ थॉमस” नामक एक प्रारंभिक ईसाई पाठ में वर्णित है। यह दर्शाता है कि गोंडोफर्स का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप के काफी अंदर तक था।
अन्य शासक
• गोंडोफर्स के बाद, उनके उत्तराधिकारियों में अब्दागसेस I, ससेस, पकोरस और सस जैसे शासक शामिल थे, लेकिन उनका साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होता गया और छोटे-छोटे क्षेत्रों में बंट गया।
प्रशासन और संस्कृति
i) सामंतवादी व्यवस्था :- हिन्द-पार्थियनों ने अक्सर स्थानीय शासकों को अपने अधीन रखते हुए एक प्रकार की सामंतवादी व्यवस्था अपनाई थी।
ii) संस्कृति का मिश्रण :- उनके शासनकाल में ईरानी, यूनानी और भारतीय संस्कृतियों का एक दिलचस्प मिश्रण देखने को मिला। गांधार कला पर उनका प्रभाव देखा जा सकता है, जो यूनानी और भारतीय कला शैलियों का एक संलयन था। उनके सिक्कों पर यूनानी, खरोष्ठी और कभी-कभी ब्राह्मी लिपियों में शिलालेख होते थे, जो उनकी बहुसांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। इन सिक्कों पर अक्सर यूनानी देवता और भारतीय प्रतीक दोनों दिखाई देते थे।
iii) धर्म :- वे मुख्य रूप से पारसी धर्म का पालन करते थे, लेकिन उन्होंने स्थानीय भारतीय धर्मों के प्रति भी सहिष्णुता दिखाई। सेंट थॉमस की कहानी इस बात का प्रमाण है कि उनके शासनकाल में अन्य धर्मों को भी स्थान मिला था।
पतन
i) कुषाणों का उदय :- पहली शताब्दी ईस्वी के उत्तरार्ध में कुषाण साम्राज्य के उदय ने हिन्द-पार्थियनों के लिए बड़ा खतरा पैदा किया। कुषाणों ने धीरे-धीरे उनके अधिकांश क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया।
ii) सासानियों का आक्रमण :- तीसरी शताब्दी ईस्वी की शुरुआत में, ईरान में सासानियन साम्राज्य के उद्भव ने हिन्द-पार्थियन सत्ता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। लगभग 224-225 ईस्वी तक, सासानियों ने उनके शेष क्षेत्रों पर भी कब्जा कर लिया।
One Liner Objectives
• मौर्योत्तर काल में भारत पर आक्रमण करने वाला तीसरा वंश कौन था ? उत्तर — पहलव (अंत कुषाणों द्वारा)
• पहलव का मूल्य स्थान कहाँ था ? उत्तर — ईरान/फारस/पर्सिया
• पहलव ने अपनी राजधानी किसे बनाया था ? उत्तर — पुरुषपुर (पेशावर)
• पहलव वंश के संस्थापक कौन थे ? उत्तर — मिथ्रेडेटस (171-130 BCE)
• पहलव वंश के सबसे योग्य शासक कौन था ? उत्तर — गोन्दोफर्निस (20-46 CE)
• गोन्दोफर्निस का “तख्त-ए-बही” अभिलेख कहा से मिला है ? उत्तर — पाकिस्तान से
• भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर पहलवों ने किस धर्म को ग्रहण कर लिया था ? उत्तर — बौद्ध धर्म
• भारत आने वाला पहला ईसाई धर्म प्रचारक कौन था जो गोन्दोफर्निस के समय आया था ? उत्तर — पुर्तगाली सेन्ट थामस
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