Indian History : कलिंग का चेदि राजवंश (The Chedi Dynasty of Kalinga)

Indian History : प्रिय विद्यार्थियों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal) आपके लिए लाया है “कलिंग का चेदि राजवंश (The Chedi Dynasty of Kalinga)”

कलिंग का चेदि राजवंश (The Chedi Dynasty of Kalinga)

कलिंग का चेदि राजवंश, जिसे महामेघवाहन वंश के नाम से भी जाना जाता है, मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद पूर्वी भारत में, विशेष रूप से कलिंग (आधुनिक ओडिशा) क्षेत्र में, एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरा। इस वंश का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली शासक सम्राट खारवेल था।

उत्पत्ति और नाम
• चेदि एक प्राचीन भारतीय जाति थी, जिसका उल्लेख महाजनपद काल में भी मिलता है। संभवतः इसी चेदि वंश की एक शाखा ने कलिंग में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
• चेदि राजवंश के संस्थापक महामेघवाहन थे, इसीलिए इसे महामेघवाहन वंश भी कहा जाता है। हालांकि, महामेघवाहन और खारवेल के बीच का इतिहास स्पष्ट नहीं है।
• चेदि राजवंश का शासनकाल लगभग 1 शताब्दी ईसा पूर्व से 1 शताब्दी ईस्वी तक माना जाता है। खारवेल का शासनकाल लगभग 193 ईसा पूर्व से 170 ईसा पूर्व तक रहा था।

जानकारी का मुख्य स्रोत
• कलिंग के चेदि राजवंश के बारे में अधिकांश जानकारी का एकमात्र और सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हाथीगुम्फा अभिलेख है। यह अभिलेख ओडिशा के भुवनेश्वर के पास उदयगिरि पहाड़ी में एक गुफा में स्थित है।
• यह अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है और इसमें सम्राट खारवेल के बचपन, शिक्षा, राज्याभिषेक और शासनकाल के 13 वर्षों की घटनाओं का विस्तृत और क्रमबद्ध विवरण मिलता है।

महानतम शासक : खारवेल
• खारवेल कलिंग के चेदि राजवंश का सबसे महान और प्रतापी शासक था। उसे “महाराज”, “ऐरा”, “महामेघवाहन” और “कलिंगाधिपति” जैसी उपाधियों से संबोधित किया गया है।
• हाथीगुम्फा अभिलेख खारवेल की अनेक सैन्य विजयों का वर्णन करता है। उसने सातवाहन शासक शातकर्णी (संभवतः शातकर्णी प्रथम) को पराजित किया, मगध पर दो बार आक्रमण किया और यवनों (इंडो-यूनानियों) को भी परास्त किया। उसने जैन तीर्थंकर की एक मूर्ति को मगध से वापस कलिंग में लाया था, जिसे नंद राजा ने पहले कलिंग से ले लिया था।
• खारवेल एक महान विजेता होने के साथ-साथ एक लोक कल्याणकारी शासक भी था। उसने अपनी राजधानी की मरम्मत करवाई, नहरों का निर्माण करवाया (जिसमें नंद राजा द्वारा बनवाई गई एक नहर का विस्तार भी शामिल है), तालाब और उद्यानों का निर्माण करवाया तथा जनता के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।
• खारवेल जैन धर्म का अनुयायी था और उसने जैन मुनियों के लिए गुफाओं (विहार) का निर्माण करवाया। हालांकि, वह अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु था।

महत्व और पतन
• खारवेल के नेतृत्व में कलिंग मौर्योत्तर काल में एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा।
• खारवेल की मृत्यु के बाद, चेदि राजवंश धीरे-धीरे कमजोर होता गया और उसका साम्राज्य बिखर गया। खारवेल की विजयों का कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ा और अंततः कलिंग एक बार फिर छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया।
• हाथीगुम्फा अभिलेख मौर्योत्तर काल में मगध के शासकों की दुर्बलता, ओडिशा में जैन धर्म के प्रसार और खारवेल के शासनकाल के बारे में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी प्रदान करता है।

One Liner Objectives

• कलिंग में चेदि राजवंश की स्थापना किसने की थी ? उत्तर — महामेघवाहन ने
• चेदि राजवंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा कौन था ? उत्तर — खारवेल
• चेदि शासक खारवेल का शासन काल कब से प्रारंभ हुआ था ? उत्तर — 44 BCE
• किस अभिलेख से खारवेल के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है ? उत्तर — हाथीगुम्फा अभिलेख से
• खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख कहाँ पर अवस्थित था ? उत्तर — उदयगिरि खंडगिरि की पहाड़ी पर
• चेदि शासक खारवेल किस मत का अनुयायी था ? उत्तर — जैन
• चेदि शासक खारवेल ने किस स्थान से एक नहर का निर्माण करवाया था ? उत्तर — तनसुलि से कलिंग तक
• हाथीगुम्फा अभिलेख से किस राजा के राज्याभिषेक के प्रथम वर्ष से 13वें वर्ष तक शासन एवं कार्यों का विवरण मिलता है ? उत्तर — खारवेल
• किस अभिलेख में सर्वप्रथम ‘भारतवर्ष’ का उल्लेख मिलता है ? उत्तर — हाथीगुम्फा अभिलेख
• चेदि शासक खारवेल की “चक्रवर्ती” की उपाधि से संबंधित जानकारी किस अभिलेख से प्राप्त होती है ? उत्तर — रानी के अभिलेख से
• चेदि शासक खारवेल ने “चक्रवर्ती” के अतिरिक्त और किन अन्य उपाधियों को धारण किया था ? उत्तर — राजर्षि, महाविजयराज, धर्मराज, भिक्षुराज, वृद्धराज

– : समाप्त : –

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top