Bihar Board Class 9th Biology : जीवों में विविधता (Diversity In Organisms)

Bihar Board Class 9th Biology : प्रिय विद्यार्थियों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal For Bihar Board Exams) आपके लिए लाया है Bihar Board Class 9th Biology : जीवों में विविधता (Diversity In Organisms) का वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQ), लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short And Long Answer Questions) ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQ)

1. जीवों का सुव्यवस्थित एवं क्रमानुसार विभिन्न समूहों में विभाजन तथा उनके जैविक नामकरण का अध्ययन किया जाता है ?
(A) विकासवाद में
(B) वर्गिकी में
(C) आनुवंशिकता में
(D) इनमें कोई नहीं

2. निम्नलिखित वैज्ञानिकों में किन्हें ‘वर्गिकी का जनक’ कहा जाता है ?
(A) चार्ल्स डार्विन को
(B) अरस्तू को
(C) कैरोलस लिन्नियस को
(D) रॉबर्ट ब्राउन को

3. सरल, प्रोकैरियोटिक सूक्ष्मजीवों को सम्मिलित किया गया है ?
(A) प्रोटिस्टा में
(B) मोनेरा में
(C) फँजाई में
(D) एनिमेलिया में

4. जीवाणुओं में नहीं पाया जाता है ?
(B) केंद्रिका
(A) केंद्रक
(C) केंद्रक झिल्ली
(D) इनमें कोई नहीं

5. यूकैरियोटिक, प्रकाशसंश्लेषी, बहुकोशिकीय तथा कोशिकाभित्ति वाले जीवों को किस जगत में रखा गया है ?
(A) प्लांटी में
(B) प्रोटिस्टा में
(C) एनिमेलिया में
(D) फंजाई में

6. एनिमेलिया जगत के जीवों में नहीं पाई जाती है ?
(A) कोशिकाभित्ति
(B) क्लोरोफिल
(C) ‘A’ एवं ‘B’ दोनों
(D) बहुकोशिकीय संरचना

7. सूक्ष्मजीवों के कल्चर के लिए उपयोगी ऐगार (agar) का उत्पादन होता है ?
(A) कवक जाल से
(B) लाल शैवाल से
(C) हरे शैवाल से
(D) मॉस से

8. कवकों एवं शैवालों के बीच सहजीवता को दर्शाता है ?
(A) फर्न
(B) जिम्नोस्पर्म
(C) एंजियोस्पर्म
(D) लाइकेन

9. निम्नलिखित में कौन विकसित बीजरहित पौधे का समूह है ?
(A) जिम्नोस्पर्म
(B) एंजियोस्पर्म
(C) टेरिडोफाइटा
(D) ब्रायोफाइटा

10. थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा एवं टेरिडोफाइटा को सम्मिलित रूप से कहते हैं ?
(A) क्रिप्टोगैम्स
(B) फैनरोगैम्स
(C) एंजियोस्पर्म
(D) जिम्नोस्पर्म

11. जनन-प्रक्रिया के फलस्वरूप बीज की उत्पत्ति होती है ?
(A) क्रिप्टोगैम्स में
(B) फैनरोगैम्स में
(D) टेरिडोफाइटा में
(C) लाइकेन में

12. साइकस और पाइनस मुख्य उदाहरण हैं ?
(A) एंजियोस्पर्म के
(B) ब्रायोफाइटा के
(C) टेरिडोफाइटा के
(D) जिम्नोस्पर्म के

13. यह पादप जगत का सबसे बड़ा समूह है ?
(A) शैवाल
(B) कवक
(C) एंजियोस्पर्म
(D) टेरिडोफाइटा

14. धान एवं गेहूँ किस प्रकार के पौधे हैं?
(A) द्विबीजपत्री
(B) एकबीजपत्री
(C) जिम्नोस्पर्म
(D) इनमें कोई नहीं

15. इनमें संवहन बंडल वलयाकार रूप में व्यवस्थित रहते हैं ?
(A) एकबीजपत्री पौधों में
(B) जिम्नोस्पर्म में
(C) द्विबीजपत्री पौधों में
(D) टेरिडोफाइटा में

16. द्विबीजपत्री पौधों के सामान्य उदाहरण हैं ?
(A) ईख
(B) आम
(C) लीची
(D) ‘B’ और ‘C’ दोनों

17. जालिकावत शिराविन्यास किन पौधों की पत्तियों में पाया जाता है ?
(A) जिम्नोस्पर्म
(B) एकबीजपत्री
(C) द्विबीजपत्री
(D) इनमें सभी

18. ऐसे प्राणी जिनके कोशिका में केंद्रकझिल्ली तथा झिल्ली से घिरे कोशिकांग पाए जाते हैं, क्या कहलाते हैं?
(A) प्रोकैरियोटी
(B) यूकैरियोटी
(C) द्विस्तरीय
(D) त्रिस्तरीय

19. ऐसे जंतु जिनका शरीर किसी भी काट से दो समान भागों में नहीं बँट सकता है, क्या कहलाते हैं?
(A) द्विपार्श्व सममित
(B) अरीय सममित
(C) असममित
(D) द्विस्तरीय

20. किस फाइलम के जंतु के शरीर में ऊतक नहीं विद्यमान होते हैं ?
(A) पोरीफेरा
(B) सीलेटरेटा
(C) एनीलिडा
(D) मोलस्का

21. सीलेण्ट्रॉन या जठरगुहावाहिनी (Gastrovascular cavity) पाई जाती है ?
(A) टीनिया में
(B) ऐस्केरिस में
(C) मेंढक में
(D) हाइड्रा में

22. इण्टरस्टिशियल (interstitial) कोशिकाएँ तथा नाइडोब्लास्ट (cnidoblast) या दंश कोशिकाएँ (nematocysts) किस फाइलम (संघ) के जंतुओं में पाई जाती हैं ?
(A) एनीलिडा
(B) एस्केल्मिन्थीज
(C) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(D) नाइडेरिया

23. निम्नलिखित किस जंतु में आहारनाल अनुपस्थित होता है ?
(A) ऐस्केरिस
(B) टीनिया
(C) तिलचट्टा
(D) केंचुआ

24. कूटसीलोम (pseudocoelom) की उपस्थिति निम्नलिखित किस फाइलम का गुण है?
(A) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(B) एस्केल्मिन्थीज
(C) आर्थ्रोपोडा
(D) इकाइनोडर्मेटा

25. कॉंटनुमा शुक (setae or chaeta) के द्वारा प्रचलन होता है ?
(A) ऐस्केरिस में
(B) सीप में
(C) केंचुआ में
(D) तारा मछली में

26. द्विपार्श्व सममित तथा खंडित निम्नांकित में किसके गुण हैं ?
(A) आर्थ्रोपोडा के
(B) मोलस्का के
(C) हेमीकॉर्डेटा के
(D) एम्फिबिया के

27. अखंडित तथा प्रावार या मेंटल से ढँका शरीर निम्नांकित में किसके गुण हैं ?
(A) आर्थ्रोपोडा के
(B) एनीलिडा के
(C) मोलस्का के
(D) इकाइनोडर्मेटा के

28. निम्नलिखित किस जंतु में जलसंवहन नाल तंत्र पाया जाता है ?
(A) ऑक्टोपस में
(B) तारा मछली में
(C) समुद्री घोड़ा में
(D) टोड में

29. पृष्ठरज्जु (dorsal notochord), ग्रसनी गिल-छिद्र (pharyngeal gill slits) तथा खोखला तंत्रिका-रज्जु (hollow nerve cord) निम्नलिखित में किसके गुण हैं ?
(A) रोहू के
(B) मेंढक के
(C) मनुष्य के
(D) इनमें सभी

30. मेरुदंड रज्जु (vertebral column) निम्नांकित किसमें नहीं पाया जाता है ?
(A) स्कोलिओडोन में
(B) कोब्रा में
(C) हर्डमैनिया में
(D) मनुष्य में

31. शल्कों (scales) से ढँकी त्वचा तथा पख या फिंस (fins) की उपस्थिति निम्नांकित किसके गुण हैं ?
(A) मत्स्य या पीशीज के
(B) एम्फिबिया के
(C) रेप्टीलिया के
(D) मैमेलिया के

32. समुद्री घोड़ा (Hippocampus) किस वर्ग का सदस्य है ?
(A) मैमेलिया का
(B) एवीज का
(C) रेप्टीलिया का
(D) मत्स्य या पीशीज का

33. उपसंघ वर्टिब्रेटा का वह वर्ग कौन है जिसके सदस्यों की त्वचा ग्रंथि नहीं होने से शुष्क (dry) होती है तथा जो शीतरक्तीय (cold blooded) होते हैं ?
(A) मत्स्य
(B) एम्फिबिया
(C) रेप्टीलिया
(D) मैमेलिया

34. उपसंघ वर्टिब्रेटा का वह वर्ग कौन है जिसके सदस्य नियततापी (warm blooded) होते हैं तथा जिनके अग्रपाद (forelimbs) पंखों (wings) में रूपांतरित होते हैं ?
(A) मत्स्य
(B) एम्फिबिया
(C) रेप्टीलिया
(D) एवीज

35. नियततापी, रोम या बाल से ढँकी त्वचा तथा बाह्यकर्ण की उपस्थिति निम्नांकित किस वर्ग के गुण हैं ?
(A) मैमेलिया की
(B) एवीज की
(C) रेप्टीलिया की
(D) एम्फिबिया की

36. निम्नलिखित में कौन उभयलिंगी है ?
(A) टीनिया
(B) ऐस्केरिस
(C) तिलचट्टा
(D) मेंढक

37. वास्तविक देहगुहा (true coelom) की उपस्थिति किस संघ के जंतुओं का गुण है ?
(A) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(B) एस्केल्मिन्थीज
(C) एनीलिडा
(D) सीलेंटरेटा

38. इनमें कौन नियततापी जंतु है ?
(A) समुद्री घोड़ा
(B) मेंढक
(C) रोहू
(D) चमगादड़

39. निम्नलिखित में किसके जबड़े में दाँत नहीं होते हैं?
(A) स्कोलिओडोन
(B) सर्प
(C) कबूतर
(D) गिलहरी

40. बाह्यकर्ण (pinna) की उपस्थिति किस वर्ग के जंतुओं का गुण है ?
(A) मैमेलिया
(B) एवीज
(C) रेप्टीलिया
(D) पीशीज

41. जीवों को किसने पाँच जगत में वर्गीकृत किया ?
(A) अरस्तू
(B) कार्ल वोस
(C) आर० व्हिटेकर
(D) कैरोलस लिन्नियस

42. यूग्लीना को किस जगत में रखा जाता है ?
(A) मोनेरा
(B) प्रोटिस्टा
(C) प्लांटी
(D) एनिमेलिया

43. कवक में अभाव होता है ?
(A) कवकजाल का
(B) तंतु का
(C) क्लोरोफिल का
(D) इन सभी का

44. मशरूम है ?
(A) शैवाल
(B) कवक
(C) ब्रायोफाइटा
(D) प्रोटिस्टा

45. ब्रायोफाइटा के अंतर्गत हैं ?
(A) साइकस
(B) सरसों
(C) गेहूँ
(D) मॉस

46. इनमें कौन संवहनी पौधे है ?
(A) शैवाल
(B) कवक
(C) फर्न
(D) मॉस

47. वैसे पौधे जिनका शरीर जड़, तना एवं पत्तियों में विभेदित नहीं रहता है उसे कहते हैं ?
(A) थैलस
(B) कवकजाल
(C) नग्नबीजी
(D) फैनरोगेम्स

48. इनमें कौन बहुकोशिकीय जीव है ?
(A) अमीबा
(B) यूग्लीना
(C) स्पाइरोगाइरा
(D) क्लेमाइडोमोनस

49. किस जीव में स्वपोषी एवं परपोषी दोनों प्रकार के पोषण पाए जाते हैं ?
(A) जीवाणु
(B) हरे शैवाल
(C) कवक
(D) एकबीजपत्री पौधे

50. इनमें कौन पुष्पीय पौधे हैं?
(A) मॉस
(B) फर्न
(C) एंजियोस्पर्म
(D) लाइकेन

51. किस विभाग के पौधों को पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है ?
(A) ब्रायोफाइटा
(B) टेरिडोफाइटा
(C) जिम्नोस्पर्म
(D) एंजियोस्पर्म

52. किस प्रकार के पौधों की पत्तियों में समानांतर शिराविन्यास रहता है ?
(A) फर्न
(B) एकबीजपत्री
(C) द्विबीजपत्री
(D) जिम्नोस्पर्म

53. नेफ्रिडिया उत्सर्जी अंग है ?
(A) संघ पॉरिफेरा का
(B) संघ एनीलिडा का
(C) संघ कॉर्डेटा का
(D) उपसंघ वर्टिब्रेटा का

54. निम्नलिखित में कौन शीतरक्तीय प्राणी है ?
(A) मेंढक
(B) चूहा
(C) कबूतर
(D) मनुष्य

55. टॉर्सन नामक प्रक्रिया के कारण किसका शरीर असममित हो जाता है ?
(A) काइटन
(B) सीप
(C) घोंघा
(D) केंचुआ

56. जल संवहन नाल तंत्र की उपस्थिति किस संघ के जंतुओं का लक्षण है ?
(A) एनीलिडा
(B) पॉरिफेरा
(C) निमेटोडा
(D) इकाइनोडर्माटा

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

1. जीवों का वर्गीकरण क्यों जरूरी है? उत्तर — जीवों के अध्ययन को सहज करने हेतु
2. वर्गिकी का जनक किसे कहते है? उत्तर — कैरोलस लिनिन्यस
3. किन आधारों पर जीवों को विभिन्न समूहों में रखा जाता है? उत्तर — समानताओं एवं विषमताओं के आधार पर
4. आदिम जीव किसे कहते हैं?  उत्तर — शुरू में जो जीव धरती पर अवतरित हुए थे उनको आदिम जीव कहते है। 
5. अपेक्षाकृत उन्नत जीव को क्या कहते है? उत्तर — नये जीव
6. मोनेरा को किस आधार पर अलग किया गया है? उत्तर — प्रोकैरियोटिक
7. प्रोटिस्टा के दो उदाहरण लिखें। उत्तर — अमीबा, युग्लीना
8. शैवाल को किस विभाग में रखा गया है? उत्तर — थैलोफाइटा
9. शैवाल तथा कवक के बीच सहजीवी संबंध का एक उदाहरण दें। उत्तर — लाइकेन (Lichen)
10. ब्रायोफाइटा की एक विशेषता को लिखें। उत्तर — ये पादप वर्ग का उभयचर कहलाते है।
11. संघ पॉरीफेरा के दो उदाहरण दें। उत्तर — साइकन, स्पंजिला
12. दो समुद्री जंतुओं (एक वर्ग मत्स्य तथा एक संघ इकाइनोडर्मेटा से) के नाम लिखें। उत्तर — कतला, तारा मछली
13. नम मिट्टी में पाए जानेवाले एक एनीलिडा का नाम लिखें। उत्तर — केंचुआ
14. एक स्वतंत्रजीवी प्लेटीहेल्मिन्थीज का नाम लिखे। उत्तर — प्लेनेरिया
15. उपसंघ वर्टिब्रेटा की एक प्रमुख विशेषता बताएँ। उत्तर — नोटोकॉर्ड मेरुरज्जु में बदल जाता है।
16. संघ कॉर्डेटा की एक विशेषता का उल्लेख करें। उत्तर — रुधिर परिसंचरण तंत्र बंद होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

जीवों में विविधता (Diversity in Organisms)

  • विश्व में जीवों की कुल संख्या अज्ञात है। परंतु हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक लगभग 18 लाख जीवों के बारे अध्ययन किया है।
  • जीवों के विविधता के अध्ययन को सहज करने हेतु हम उनकी समानताओं एवं विषमताओं के आधार पर उन्हें विभिन्न समूह में बाँटते हैं, जिसे वर्गीकरण (Classification) कहते हैं।
  • जीव विज्ञान की वैसी शाखा जिसमें वर्गीकरण का अध्ययन किया जाता है उसे वर्गीकरणविज्ञान या वर्गिकी (Taxonomy) कहते हैं।
  • कैरोलस लीनियस (Carolos Linnaeus) को वर्गिकी का जनक (Father of Taxonomy) कहा जाता है।
  • द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज (The Origin of Species) नामक किताब चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) ने 1859 में लिखा था।
  • कैरोलस लीनियस ने समस्त जीवों को दो भागों में बांटा था –
    • Plantae Kingdom (पादप जगत)
    • Animalia Kingdom (जंतु जगत)
  • RH Whittaker ने 1969 में समस्त जीवों को पांच जगत में बांटा था।
    • Protista Kingdom
    • Monera Kingdom
    • Fungi Kingdom
    • Plantae Kingdom
    • Animalia Kingdom

Hierarchy of Classification (वर्गीकरण का पदानुक्रम)

  • Kingdom (किंगडम या जगत)
  • Phylum (फाइलम) (for animals)/Division (डिवीजन) (for plants)
  • Class (क्लास या वर्ग)
  • Order (ऑर्डर या गण)
  • Family (फैमिली या कुल)
  • Genus (जेनेरा या वंश)
  • Species (स्पीशीज या जाति)

Monera Kingdom (मोनेरा जगत)

  • इस जगत में सबसे प्राचीन, सरल तथा प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic) सूक्ष्मजीवों को सम्मिलित किया गया है।
  • इस जगत के जीव पोषण की दृष्टि से स्वपोषी और परपोषी दोनों हो सकते है।
  • उदाहरण :– जीवाणु (Bacteria), नील हरित शैवाल (BGA), माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) इत्यादि।

Protista Kingdom (प्रोटिस्टा जगत)

  • इस जगत में मुख्यतः विभिन्न प्रकार के जलीय (aquatic), एककोशिकीय (Unicellular), सरल (Simple), यूकैरियोटिक (Eukaryotic) सूक्ष्म जीवों को सम्मिलित किया गया है।
  • इस जगत के जीवों में प्रचलन के लिए रोम की तरह सीलिया (Cilia) या फ्लैजिला (Flagella) पाए जाते हैं।
  • ये स्वपोषी (autotrophic) और परपोषी (heterotrophic) दोनों तरह के हो सकते हैं। परपोषी जीव या तो परजीवी (parasitic) या मृतजीवी (Saprophytic) होते हैं।
  • उदाहरण :– यूग्लीना (Euglena), डायटम (Diatom), स्लाइम मोल्ड (Slime mould), अमीबा, पैरामीशियम इत्यादि।

Fungi Kingdom (फंजाई जगत)

  • इस जगत में उन बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक (Multicellular Eukaryotic) जीवों को सम्मिलित किया गया है जो पौधे तो हैं लेकिन इनमें क्लोरोफिल वर्णक (Chlorophyll pigment) नहीं पाया जाता है।
  • इनमें कोशिका भित्ति (Cell wall) पायी जाती है। ये परजीवी, सहजीवी (symbiotic) और मृतजीवी हो सकते हैं। ये सुक्ष्म या बड़े, विश्वव्यापी (Worldwide) तथा सभी परिस्थितियों में पाए जाते हैं।
  • कवकों की कोशिका भित्ति काइटिन (chitin) नामक जटिल शर्करा (Sugar) से बनी होती है।
  • उदाहरण :– मशरूम (Mushroom), म्यूकर (Mucor), पेनिसिलियम (Penicillium), यीस्ट (Yeast) इत्यादि।

Plantae Kingdom (प्लांटी या पादप जगत)

  • इस जगत में यूकैरियोटिक, प्रकाशसंश्लेषी (Photosynthetic), बहूकोशिकीय तथा कोशिका भित्ति वाले जीवों को सम्मिलित किया गया है।
  • इनमें जलीय तथा स्थलीय (aquatic and terrestrial) दोनों प्रकार के पौधे आते हैं। ये स्वपोषी होते हैं।
  • पौधों का वर्गीकरण मुख्यतः इस आधार पर किया गया है कि उनका शरीर कितना विकसित है।
  • आइकलर (Eichler) नामक वैज्ञानिक ने 1883 में पादप जगत को दो उपजगतों में बाँटा —
    • क्रिप्टोगैम्स (Cryptogams)
    • फैनरोगैम्स (Phanerogams)

क्रिप्टोगैम्स (Cryptogams)

  • क्रिप्टोगैम्स के पौधों में बीज (seed) नहीं पाये जाते है। इनमें वास्तविक जड़ (root), तना (stem) तथा पत्ती (leaf) भी नहीं पायी जाती है।
  • इनमें संवहन तंत्र (xylem and phloem) भी अनुपस्थित होता है, लेकिन उच्चकोटि के क्रिप्टोगैम्स में संवहन तंत्र पाया जाता है।
  • क्रिप्टोगैम्स को पुनः तीन भागों में बाँटा गया है —
    • थैलोफाइटा (Thallophyta)
    • ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
    • टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)

थैलोफाइटा (Thallophyta)

  • इनका शरीर जड़, तना एवं पत्तियों में विभाजित नहीं रहता है लेकिन यह एक थैलस (thallus) के रूप में रहता है, इसीलिए इन्हें थैलोफाइटा कहते हैं।
  • इस वर्ग के पौधों को सामान्यतः शैवाल (Algae) कहा जाता है। ये मुख्य रूप से जल में पाए जाते हैं।
  • Examples :- Spirogyra (स्पाइरोगाइरा), Ulothrix (यूलोथ्रिक्स), Cladophora (क्लैडोफोरा), Chara (कारा) etc.

ब्रायोफाइटा (Bryophyta)

  • इस वर्ग के पौधे भूमि पर नम एवं छायादार (moist and shady) स्थानों पर उगते हैं। अतः इन्हें पादप वर्ग का उभयचर (amphibians of the plant kingdom) कहा जाता है।
  • अधिकांश पौधे हरे एवं छोटे होते हैं। इनमें संवहन ऊतक नहीं पाया जाता है।
  • यह पादप, तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है।
  • Examples :-  Riccia (रिक्सिया), Moss (मॉस),  Marchantia (मार्केंशिया) etc.

टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)

  • इस वर्ग के पौधों का शरीर जड़, तना और पत्तियों में विभाजित रहता है।
  • इनमें संवहन ऊतक मौजूद रहता है। इसे सबसे पुराना संवहन पौधा कहा जाता है।
  • ये अधिकांशतः छायादार या नम स्थानों में पाए जाते हैं। इन पौधों में बीज नहीं बनता है। इसीलिए इन्हें विकसित बीज रहित पौधा (developed seedless plants) कहा जाता है।
  • Examples :- Marsilea (मार्सीलिया), ferns (फ़र्न),  horse-tails  (हॉर्स-टेल) etc.

फैनरोगैम्स (Phanerogams)

  • फैनरोगैम्स के पौधों में बीज पाये जाते है। इनमें वास्तविक जड़, तना तथा पत्ती एवं संवहन तंत्र भी पायी जाती है।
  • फैनरोगैम्स को पुनः दो भागों में बाँटा गया है —
    • Gymnosperms (जिम्नोस्पर्म या अनावृतबीजी या नग्नबीजी)
    • Angiosperms (एंजियोस्पर्म या आवृतबीजी)
  • जिम्नोस्पर्म एंव एंजियोस्पर्म को मिलाकर स्पर्मेटोफाइटा (Spermatophyta) भी कहते है।

Gymnosperms (जिम्नोस्पर्म या अनावृतबीजी या नग्नबीजी)

  • Gymnosperms शब्द दो ग्रीक शब्दों जिम्नो (gymno) तथा स्पर्मा (sperma) से मिलकर बना है, जिसमें जिम्नो का अर्थ है नग्न (naked) तथा स्पर्मा का अर्थ है बीज (seed) अर्थात इन्हें नग्न बीजी पौधे भी कहा जाता है।
  • ये पौधे बहुवर्षी (perennial), सदाबहार (evergreen) तथा काष्ठीय (woody) होते हैं। इनमें फूल का अभाव होता है। इन पौधों में जड़े, तना एवं पत्तियाँ विकसित होती है।
  • Examples :– Pines (पाइनस), Cycas (साइकस)

Angiosperms (एंजियोस्पर्म या आवृतबीजी)

  • Angiosperms दो ग्रीक शब्दों एंजियो (angio) और स्पर्मा से मिलकर बना है। एंजियो का अर्थ है ढका हुआ (covered) और स्पर्मा का अर्थ है बीज। अर्थात इन पौधों के बीज फलों के अंदर ढके रहते हैं।
  • यह पादप जगत का सबसे बड़ा समूह है। मनुष्य के अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति इन्हीं पौधों से होती है।
  • इनके बीजों का विकास अंडाशय (ovary) के अंदर होता है, जो बाद में फल बन जाता है। इन्हें पुष्पी पादप (flowering plants) भी कहा जाता है।
  • इनमें भोजन का संचय या तो भ्रूणपोष (endosperm) में या बीज पत्रों (cotyledons) में होता है।
  • बीजों में बीज पत्र की संख्या के आधार पर इसे दो भागों में बांटा गया है —
    • Monocotyledons (एकबीजपत्री या मोनोकॉटिलीडन्स)
    • Dicotyledons (द्विबीजपत्री या डाइकॉटिलीडन्स)

Monocotyledons (एकबीजपत्री या मोनोकॉटिलीडन्स)

  • वैसा बीज जिसमें केवल एक ही बीज पत्र हो, एकबीजपत्री कहलाता है।
  • इनकी पत्तियों पर शिरा-विन्यास (venation) समानांतर (parallel) होता है।
  • इनके संवहन बंडल फैले हुए (scattered) रहते हैं। इनमें रेशेदार जड़ तंत्र (fibrous) होता है।
  • उदाहरण :– धान (Paddy), घास (Grass), बाँस (Bamboo), नारियल (Coconut), ताड़ (palm), गेहूं (Wheat), ईख (Sugar cane)

Dicotyledons (द्विबीजपत्री या डाइकॉटिलीडन्स)

  • वैसा बीज जिसमें दो बीज पत्र हो, द्विबीजपत्री कहलाता हैं।
  • इनकी पत्तियों में जालिकावत (reticulated) शिरा-विन्यास रहता है।
  • इनके संवहन बंडल वलयाकार रूप में व्यवस्थित रहते हैं। इनका जड़ तंत्र अधिमूल एवं उसकी शाखाओं के साथ फैला रहता है।
  • उदाहरण :– आम, लीची (Lichi), बरगद (banyan), कटहल (jackfruit) आदि।

Animalia Kingdom (जंतु जगत)

  • इस जगत में वैसे जीव को रखा गया है जो यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय होते है। इनकी कोशिकाओं में कोशिकाभिति नहीं पायी जाती है।
  • इस जगत के जीव में क्लोरोफिल नहीं पाये जाते है अतः ये परपोषी होते है।
  • जंतु का शरीर द्विस्तरीय (Diploblastic) अथवा त्रिस्तरीय (Triploblastic) होता है।
  • जंतु का आकार निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है —
    • द्विपार्श्व सममित (Bilateral symmetry) :– इसमें जंतु के शरीर को एक काट द्वारा दो समान भागों में बाँट सकते है। जैसे – मेढ़क, मछली इत्यादि।
    • अरीय सममित (Radial symmetry) :– इसमें जंतु को केन्द्र के स्थान से अर्धव्यासों पर एक से अधिक समान भागों में बाँटा जा सकता है। जैसे – हाइड्रा
    • असममित (Asymmetrical) :– इसमें जंतु में किसी भी काट से शरीर दो समान भागों में नहीं बँट सकता है। जैसे – घोंघा
  • वास्तविक देहगुहा (Coelom) मौजूद हो भी सकता है या नहीं भी।
  • बाह्यकंकाल अथवा अतः कंकाल पाया भी जा सकता है और नहीं भी।
  • उपांग (Appendages) पाया भी जा सकता है या नहीं भी।
  • नोटोकार्ड एवं आहारनाल पाया भी जा सकता है नहीं भी।
  • उच्च श्रेणी के जंतुओं में तंत्रिका तंत्र तथा पेशीतंत्र पाये जाते है।
  • जंतु जगत को 10 संघ में बांटा गया है —

Phylum 1. Porifera (पोरीफेरा) (Sponges)

  • पोरीफेरा का अर्थ छिद्र युक्त जीवधारी होता है। छिद्र ऑस्टिया (Ostia) कहलाते है। ये बहुकोशिकीय, अधिकांश समुद्री, स्थानबद्ध जीव हैं जो किसी आधार से चिपके हुए पाए जाते हैं। ये सामान्यतः स्पंज कहलाते हैं।
  • शारीरिक रचना अत्यंत सरल होती है। शरीर में ऊतक नहीं होते है।
  • प्रजनन साधारणतः अलैंगिक विधि से मुकुलन या जेम्यूल द्वारा होता है। ये द्विलिंगी (Hermaphrodite) होते हैं, अतः लैंगिक प्रजनन शुक्राणु एवं अंडाणु के संयोग से भी होता है।
  • इनमें पुनरुद्भवन (Regeneration) की क्षमता होती है, अर्थात शरीर के नष्ट हुए भाग का निर्माण पुनः हो जाता है।
  • उदाहरण :- Sycon (साइकन), Euplectella (यूप्लेकटेला), Spongilla (स्पंजिला) आदि ।

Phylum 2. Coelenterata or Cnidaria (सीलेंटरेटा या नाइडेरिया)

  • ये जलीय, अधिकांश समुंद्री, एकाकी (solitary) या संघचारी (colonial) जंतु है।
  • इनका शरीरिक संगठन ऊतकीय स्तर का होता है। इनमें एक देहगुहा पाई जाती है। ये द्विस्तरीय प्राणी है।
  • दंश कोशिकाओं (nematocysts) की उपस्थिति इस संघ का मुख्य लक्षण है। ये कोशिकाएँ आत्मरक्षा, वस्तु से चिपकने या शिकार पकड़ने में सहायता करती है।
  • कोशिकाओं में स्थायी श्रम-विभाजन पाया जाता है। ये मुकुलन द्वारा अलैंगिक प्रजनन करते हैं।
  • उदाहरण :- Hydra (हाइड्रा), Jellyfish, Sea anemone (समुद्री ऐनीमोन), Coral (कोरल) आदि।

Phylum 3. Platyhelminthes (प्लेटीहेल्मिन्थीज) (Flatworms)

  • ये देहगुहारहित (acoelomate) जंतु है। इनका शरीर पृष्ठ-अधोदिशा (dorsoventrally) में चपटा होता है। इसलिए इन्हें चपटे कृमि भी कहा जाता है।
  • ये परजीवी होते हैं। कुछ प्रजातियां स्वतंत्रजीवी (जैसे प्लेनेरिया) भी होती है।
  • श्वसनांग, कंकाल तंत्र, रुधिर परिवहन तंत्र विकसित नहीं होते हैं।
  • ये उभयलिंगी जंतु है, अर्थात एक ही शरीर में नर एवं मादा दोनों जननांग पाए जाते हैं।
  • उदाहरण :- Planaria (प्लेनेरिया), Fasciola (फैसिओला), Taenia (टीनिया) आदि।

Phylum 4. Aschelminthes (एस्केल्मन्थीज) (Roundworms)

  • इनका शरीर बेलनाकार होता है। अतः ये गोलकृमि कहलाते है।
  • शरीर में मिथ्या देहगुहा (false coelom) पाया जाता है, जो कूटसीलोन (Pseudocoelom) कहलाता है।
  • आहारनाल विकसित तथा मुख्य द्वार एवं गुदा (anus) भी उपस्थित होते हैं।
  • इसमें ऊतक पाए जाते हैं परंतु अंग तंत्र पूर्ण विकसित नहीं होते हैं।
  • ये एकलिंगी होते हैं, अर्थात नर एवं मादा जनन अंग अलग-अलग शरीर में पाए जाते हैं।
  • ये अधिकांशतः परजीवी होते हैं।
  • ऐस्केरिएसिस तथा फाइलेरिया रोग ऐसे ही कृमियों के कारण होता है।
  • उदाहरण :- Ascaris (ऐस्केरिस), Wuchereria (वूचेरेरिया), Hookworm (हुकवर्म) आदि।

Phylum 5. Annelida (एनीलिडा) (Segmented worms)

  • ये जंतु साधारणतः स्वतंत्रजीवी, कुछ परजीवी (जैसे जोंक), द्विपार्श्व सममित एवं त्रिस्तरीय होते हैं।
  • इनमें वास्तविक देहगुहा पाया जाता है।
  • शरीर में अनेक खंड होते हैं, प्रचलन कांटेनुमा शूक (setae or chaeta) द्वारा होता है।
  • ये स्थल एवं जल दोनों जगहों में पाए जाते हैं।
  • इनके अंग तंत्र विकसित एवं सुव्यवस्थित होते हैं।
  • ये एकलिंगी एवं उभयलिंगी दोनों प्रकार के होते हैं।
  • उदाहरण :- Nereis (नेरीज), Sea mouse (समुद्री चुहा), Earthworm (केंचुआ), Leech (जोंक) आदि।

Phylum 6. Arthropoda (आर्थ्रोपोडा) (Animals with jointed legs)

  • आर्थ्रोपोडा जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ है। वस्तुतः ज्ञात जंतुओं के संपूर्ण संख्या के करीब 80% इसी संघ के सदस्य हैं।
  • ये जल (मृदुजल एवं समुद्री) तथा स्थल दोनों स्थानों में पाए जाते हैं। ये स्वतंत्रजीवी तथा परजीवी दोनों होते हैं।
  • इनमें मजबूत संधित उपांग (jointed appendages) होते हैं। संपूर्ण शरीर कठोर निर्जीव क्यूटिकल (cuticles) बाह्य कंकाल (exoskeleton) से ढँका होता है।
  • श्वसन गिल्स (gills), ट्रैकिया (trachea), बुक लंग (book lung) द्वारा होता है।
  • इनमें खुला रक्त परिसंचरण तंत्र (open circulation  system) होता है।
  • जीवन-चक्र में कई अवस्थाएं हो सकती है। जैसे कीटों में अंडा से लार्वा (larva), लार्वा से प्यूपा (pupa) अंततः प्यूपा से वयस्क कीट बनते हैं। इसे कायांतरण (Metamorphosis) कहते हैं।
  • उदाहरण :- Prawn (झींगा), Crab (केंकड़ा), Cockroach (तिलचट्टा), Fly (मक्खी), Scolopendra (गोजर), Scorpion (बिच्छू), Beetle (भृंग) आदि।

Phylum 7. Mollusca (मोलस्का) (Soft-bodied animals)

  • इनका शरीर एक कोमल झिल्ली द्वारा ढका रहता है, जिसे प्रावार (Mantle) कहते हैं। शरीर प्रायः कैलशियम कार्बोनेट के एक कवच (Shell) से ढका रहता है।
  • रक्त परिसंचरण तंत्र खुला होता है।
  • ये सामान्यतः एकलिंगी होते हैं। कुछ द्विलिंगी भी होते हैं।
  • उदाहरण :- Chiton (काईटन), Pila (घोंघा), Unio (सीप), Octopus (ऑक्टोपस), Sepia (सीपिया) आदि।

Phylum 8. Echinodermata (इकाइनोडर्मेटा) (Spiny-skinned animals)

  • इन जंतुओं के त्वचा के ऊपर काँटे निकले होते है। इसलिए इन्हें इकाइनोडर्म कहते हैं।
  • इस संघ के जंतु समुंद्री तथा एकलिंगी होते हैं।
  • इसमें एक विशेष प्रकार का जल-परिवहन तंत्र होता है, जो प्रचलन (Locomotion) तथा श्वसन में सहायक होता है।
  • उदाहरण :- Star fish (तारा मछली), Sea cucumber (समुद्री खीरा), Sea urchin  (सी अर्चिन), Antedon (एंटीडॉन) आदि।

Phylum 9. Protochordata (प्रोटोकॉर्डेटा)

  • ये द्विपार्श्व सममित, त्रिस्तरीय एवं देहगुहा युक्त जंतु है।
  • इस संघ के जंतुओं में नोटोकॉर्ड (notochord) उपस्थित होता है। नोटोकॉर्ड छड़ की तरह एक लंबी रचना है जो जंतुओं के पृष्ठ भाग (dorsal side) पर पाई जाती है।
  • इस संघ के एक उपसंघ हेमीकॉर्डेटा (hemichordata) में नोटोकॉर्ड अनुपस्थित होता है, परंतु तंत्रिका रज्जु (nerve cord) उपस्थित होता है।
  • उदाहरण :- Balanoglossus (बैलैनोग्लोसस), Herdmania (हर्डमैनिया), Amphioxus (एम्फीऑक्सस) आदि।

Phylum 10. Chordata (कॉर्डेटा)

  • ये जल और स्थल में पाए जाने वाले त्रिस्तरीय, सीलोमेट जंतु है।
  • इनमें नोटोकॉर्ड उपस्थित होता हैं। अधिकांश कॉर्डेटों में यह उपास्थि या अस्थि के बने एक अंत: कंकाल कशेरुक दंड (vertebral column) या रीढ़ की हड्डी (backbone) में परिवर्तित हो जाता है।
  • रुधिर परिसंचरण बंद होता है, अर्थात रक्त का प्रवाह बंद रक्त नलिकाओं में होता है।
  • पूच्छ (tail) गुदा के पीछे (postanal tail) स्थित होता है।

Subphylum Vertebrata (उपसंघ वर्टिब्रेटा)

  • उपसंघ वर्टिब्रेटा के सभी जंतुओं में नोटोकॉर्ड उपास्थि या अस्थि के बने मेरुदंड रज्जू (spinal cord) में परिवर्तित हो जाता हैं।
  • इन जंतुओं का मस्तिष्क जटिल होता है तथा यह एक क्रेनियम (cranium or Brain Box) में बंद होता है। इसी कारण वर्टिब्रेटा को क्रेनियेटा (Craniata) भी कहते है।
  • सिर में विशेष प्रकार के जोड़े संवेदी अंग (sensory organs/Sense Organ) होते हैं, जिनसे वर्टिब्रेट जंतु देखने, सुनने तथा सूंघने जैसे कार्य करते हैं।
  • उपसंघ वर्टिब्रेटा को पांच प्रमुख वर्गों (classes) में बांटा गया है।

Class 1. Pisces (मत्स्य या पीसीज)

  • इसके अंतर्गत मछलियाँ आती है जो लवणीय और मृदुजल में पाई जाती है। इनकी त्वचा शल्क (scales) अथवा प्लेटों से ढकी रहती है तथा ये अपनी मांसल पूँछ का प्रयोग तैरने के लिए करती है।
  • इनका शरीर धारारेखीय (streamline) होता है। जिससे मछलियों को तैरते समय जल अवरोध कम से कम लगता है।
  • इनमें श्वसन क्रिया के लिए गिल्स (gills) पाए जाते हैं, जो जल में विलीन ऑक्सीजन का प्रयोग करता हैं।
  • ये अनियततापी (cold-blooded) होते हैं। अर्थात, वातावरण के तापमान के अनुसार इनके शरीर का तापमान बदलता रहता है।
  • इनका ह्रदय द्विकक्षीय होता है। ये अंडे (Oviparous) देती है।
  • उदाहरण :- Scoliodon (स्कोलिओडोन), electric ray (इलेक्ट्रिक रे), sting ray (स्टिंग रे), Labeo (रोहू), Catla (कतला), Anabas (एनाबस) तथा Hippocampus (समुद्री घोड़ा या हिपोकैम्पस) आदि।

Class 2. Amphibia (एम्फिबिया)

  • ये स्थल और जल दोनों पर रह सकते हैं। इसीलिए इन्हें उभयचर कहलाते हैं।
  • यह अनियततापी होते है तथा हृदय त्रिकक्षीय होते है।
  • इसमें कायांतरण की प्रक्रिया होती है।
  • उदाहरण :- Frog (मेढक), Toad (टोड), Hyla (हायला), Salamander (सैलामेंडर) आदि।

Class 3. Reptilia (रेप्टीलिया)

  • ये साधारणतः स्थलवासी, लेकिन कुछ जलवासी भी होते है। ये रेंगकर चलते है इसलिए इन्हें रेप्टीलिया कहा जाता है।
  • ये अनियततापी होते है। इनके हृदय में तीन कक्ष होते है। लेकिन मगरमच्छ के हृदय में 4 कक्ष होते है।
  • श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। ये अंडे देते है।
  • उदाहरण :– कछुआ (Tortoise), छिपकली (House lizard), साँप (Snakes) आदि।

Class 4. Aves (एवीज या पक्षी)

  • ये उड्डयनशील (Flying) जंतु है। इनका शरीर परों से ढँका रहता है तथा ये नियततापी (Warm-blooded) जंतु होते है।
  • श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। इनके हृदय में चार कक्ष होते है। ये अंडे देते है।
  • उदाहरण :– कबूतर, शुतुरमुर्ग, तोता, मयना, मोर आदि।

Class 5. Mammalia (स्तनी या मौमेलिया)

  • इनमें स्तन (Mammary gland) पाये जाते है। स्तन में नवजात के पोषण के लिए दुग्ध ग्रंथियाँ पाई जाती है।
  • ये नियततापी (Warm-blooded) होते हैं। इनकी त्वचा बाल या रोम (hairs) से ढँका रहता है।
  • इनमें बाह्यकर्ण उपस्थित होते है। श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। हृदय में चार कक्ष होते है।
  • मादा शिशुओं को जन्म देती है। हालांकि एक वर्ग अंडे भी देती है (जैसे इकिडना, Echidna) तथा एक वर्ग अविकसित शिशु को जन्म देते है (जैसे कंगारू, Kangroo)।
  • उदाहरण :– चूहा, मनुष्य, चमगादड़, शेर, कुता, बंदर आदि।

Nomenclature (नामपद्धति)

  • किसी जीव का केवल एक ही वैज्ञानिक नाम होता है और पूरे संसार में वह उसी नाम से जाना जाता है।
  • नामपद्धति के लिए हम जिस वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करते हैं, वह सबसे पहले कैरोलस लीनियस द्वारा 18वीं शताब्दी में शुरू की गई थी।
  • वैज्ञानिक नाम लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए —
    • जीनस (Genus) का नाम अंग्रेजी के बड़े अक्षर से शुरू होना चाहिए।
    • प्रजाति (Species) का नाम अंग्रेज़ी के छोटे अक्षर से शुरू होना चाहिए।
    • छपायी करते समय वैज्ञानिक नाम इटैलिक रूप में लिखें जाने चाहिए।
    • जब वैज्ञानिक नाम हाथ से लिखा जाता है तो जीनस और स्पीशीज दोनों को अलग-अलग रेखांकित (Underlined) कर दिया जाता है।

1. Human (मानव) → Homo sapiens (होमो सेपियन्स)
2. Leopard/Cheetah (तेंदुआ या चीता) → Panthera pardus (पेंथेरा परदुस)
3. Tiger (बाघ) → Panthera tigris (पैंथेरा टाइग्रिस)
4. Lion (शेर) → Panthera leo (पैंथेरा लियो)
5. Pea (मटर) → Pisum sativum (पिसम सैटिवुम)
6. House Cat (बिल्ली) → Felis domestica (फेलिस डोमेस्टिका)
7. Frog (मेढक) → Rana tigrina (राणा तिग्रीना)
8. Paddy (धान) → Oryza sativa (ओरिज़ा सतीवा)
9. Mustard (सरसों) → Brassica campestris (ब्रैसिका कैंपेस्ट्रिस)
10. Gram (चना) → Cicer arietinum (सिसर एरीटिनम)
11. Wheat (गेहूँ) → Triticum aestivum (ट्रिटिकम एस्टीवम)
12. Buffalo (भैंस) → Bos indica (बॉस इंडिका)
13. Mango (आम) → Mangifera indica (मैंगिफेरा इंडिका)
14. Elephant (हाथी) → Elephas indica (एलीफस इंडिका)
15. Dog (कुता) → Canis familiaris (कैनिस फेमिलेरिस)
16. House Fly (मक्खी) → Musca domestica
17. Peacock (मोर) → Pavo cristatus
18. Lotus (कमल) → Nelumbo nucifera
19. Banyan (बरगद) → Ficus benghalensis20

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