Bihar Board Class 12 History 2015 Question Answer : प्रिय विद्यार्थीयों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal For Bihar Board Exams) आपके लिए लाया है Bihar Board Class 12th History 2015 PYQ Paper ।
खण्ड – अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. सिन्धु घाटी सभ्यता में विशाल स्नानागार के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए ?
(A) हड़प्पा
(B) मोहनजोदड़ो
(C) कालीबंगा
(D) लोथल
2. पुराणों की संख्या कितनी है ?
(A) 16
(B) 18
(C) 19
(D) 20
3. महावीर ने पार्श्वनाथ के सिद्धान्तों में नया सिद्धान्त क्या जोड़ा ?
(A) अहिंसा
(B) ब्रह्मचर्य
(C) सत्य
(D) उपरिग्रह
4. प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी ?
(A) बाणभट्ट
(B) कालिदास
(C) हरिषेण
(D) तुलसीदास
5. ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक कौन हैं ?
(A) मनु
(B) वाल्मीकि
(C) वेदव्यास
(D) कौटिल्य
6. चौथी बौद्ध संगीति किस शासक के काल में हुआ था ?
(A) अशोक
(B) कालाशोक
(C) अजातशत्रु
(D) कनिष्क
7. वज्जि को सामाजिक ग्रन्थों में कहा गया है ?
(A) गणसंघ
(B) गणतंत्र
(C) राजतंत्र
(D) इनमें से सभी
8. ‘जनपद’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है ?
(A) जहाँ लोग अपना घर बनाते हैं
(B) जहाँ लोग मवेशी रखते हैं
(C) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
9. पंच चिह्न वाले सिक्के बने होते थे ?
(A) सोने के
(B) चाँदी के
(C) ताँबे के
(D) (B) और (C) दोनों के
10. कालीबंगा स्थित है ?
(A) सिंध में
(B) पंजाब में
(C) राजस्थान में
(D) बंगाल में
11. अशोक द्वारा प्रचारित बौद्ध धर्म कहाँ प्रचलित नहीं हुआ ?
(A) सीरिया
(B) ब्रिटेन
(C) श्रीलंका
(D) जापान
12. पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की गई थी ?
(A) मुंडक द्वारा
(B) बिंबिसार द्वारा
(C) उदयभद्र द्वारा
(D) अजातशत्रु द्वारा
13. भारत का अंतिम मुगल शासक कौन था ?
(A) औरंगजेब
(B) शाहजहाँ
(C) बहादुर शाह जफर
(D) मुहम्मद शाह
14. तलवंडी में किस प्रसिद्ध संत का जन्म हुआ था ?
(A) कबीर
(B) रैदास
(C) मीरा
(D) गुरु नानक
15. अकबर का संरक्षक कौन था ?
(A) फैजी
(B) मुनीम खाँ
(C) अब्दुल रहीम
(D) बैरम खाँ
16. आईन-ए-अकबरी किसने लिखा ?
(A) बदायूँ
(B) अबुल फजल
(C) फैजी
(D) बाबर
17. तम्बाकू का सेवन सर्वप्रथम किस मुगल सम्राट ने किया ?
(A) जहाँगीर
(B) शाहजहाँ
(C) बाबर
(D) अकबर
18. औरंगजेब ने अपने जीवन का अन्तिम भाग बिताया था ?
(A) दक्षिणी भारत में
(B) उत्तरी भारत में
(C) पूर्वी भारत में
(D) पश्चिमी भारत में
19. अल-बरूनी किसके साथ भारत आया था ?
(A) तैमूर
(B) मुहम्मद गौरी
(C) गजनी
(D) मुहम्मद बिन कासिम
20. इब्न-बतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था ?
(A) अरबी में
(B) अंग्रेजी में
(C) उर्दू में
(D) फारसी में
21. निम्न में से महिला सन्त थी ?
(A) मीरा
(B) अंडाल
(C) कराइकल
(D) इनमें से सभी
22. शेख मोइनुद्दीन की दरगाह स्थित है ?
(A) अजमेर में
(B) फतेहपुर में
(C) आगरा में
(D) दिल्ली में
23. ‘गोपुरम’ का सम्बन्ध है ?
(A) मंदिर से
(B) व्यापार से
(C) नगर से
(D) गाय से
24. हम्पी नगर किस साम्राज्य से सम्बन्धित है ?
(A) विजयनगर साम्राज्य
(B) बहमनी साम्राज्य
(C) गुप्त साम्राज्य
(D) मौर्य साम्राज्य
25. स्थायी बन्दोबस्त कहाँ लागू किया गया ?
(A) बम्बई
(B) पंजाब
(C) बंगाल
(D) इनमें से सभी
26. बिहार में 1857 के विद्रोह का प्रमुख नेता कौन था/थी ?
(A) बाजीराव
(B) लक्ष्मीबाई
(C) दिलीप सिंह
(D) कुंवर सिंह
27. संथाल विद्रोह का नेता कौन था ?
(A) बिरसा मुण्डा
(B) सिधो
(C) कालीराम
(D) इनमें से कोई नहीं
28. बिहार में चम्पारण सत्याग्रह कब शुरू हुआ ?
(A) 1925
(B) 1917
(C) 1912
(D) 1905
29. ‘दामिन-इ-कोह’ क्या था ?
(A) भू-भाग
(B) तलवार
(C) उपाधि
(D) घोड़ा
30. कार्नवालिस कोड बना ?
(A) 1797 में
(B) 1775 में
(C) 1805 में
(D) 1793 में
31. संथाल विद्रोह कब हुआ ?
(A) 1855
(B) 1851
(C) 1841
(D) 1832
32. भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित हुई थी ?
(A) 1909 में
(B) 1910 में
(C) 1911 में
(D) 1912 में
33. ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ का निर्माण कब हुआ था ?
(A) 1914
(B) 1913
(C) 1911
(D) 1910
34. पुर्तगालियों ने गोवा पर अधिकार किया ?
(A) 1515 में
(B) 1512 में
(C) 1510 में
(D) 1509 में
35. कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई ?
(A) 1885 में
(B) 1773 में
(C) 1774 में
(D) 1673 में
36. भारत में रेलवे की शुरुआत हुई थी ?
(A) 1953 में
(B) 1853 में
(C) 1873 में
(D) 1773 में
37. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना कब हुई ?
(A) 1887
(B) 1885
(C) 1875
(D) 1857
38. स्वतंत्र भारत का अन्तिम गवर्नर जनरल कौन था ?
(A) लार्ड कर्जन
(B) लार्ड माउन्टबेटन
(C) सी. राजगोपालाचारी
(D) इनमें से कोई नहीं
39. संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?
(A) राजेन्द्र प्रसाद
(B) बी. आर. अम्बेडकर
(C) सरदार पटेल
(D) जवाहरलाल नेहरू
40. भारतीय संविधान के अनुसार संप्रभुता निहित है ?
(A) राष्ट्रपति में
(B) प्रधानमंत्री में
(C) न्यायपालिका में
(D) संविधान में
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खण्ड – ब (लघु उत्तरीय प्रश्न)
1. कार्बन-14 विधि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर — कार्बन-14 विधि, जिसे कार्बन डेटिंग या रेडियोकार्बन डेटिंग भी कहा जाता है, एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसका उपयोग पुरातात्त्विक और भूविज्ञान में वस्तुओं की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह विधि विशेष रूप से जैविक सामग्री, जैसे कि लकड़ी, हड्डियाँ, और अन्य कार्बनिक पदार्थों के लिए प्रभावी होती है।
2. पुरातत्त्व से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर — पुरातत्त्व (Archaeology) मानव गतिविधियों का अध्ययन है, जो भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के पुनर्प्राप्ति और विश्लेषण के माध्यम से किया जाता है। इसका उद्देश्य प्राचीन सभ्यताओं, उनके जीवनशैली, संस्कृति, तकनीकी विकास, और सामाजिक संरचनाओं को समझना है। पुरातत्त्व में अध्ययन के लिए विभिन्न प्रकार के भौतिक अवशेषों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि उपकरण, बर्तन, इमारतें, मूर्तियाँ, और अन्य वस्तुएँ जो मानव गतिविधियों का प्रमाण होती हैं। पुरातत्व में साहित्य का अध्ययन नहीं किया जाता है।
3. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर — मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का विवरण निम्नलिखित हैं –
1. मेगास्थनीज की इंडिका :- मौर्यकालीन में ज्ञान प्राप्त करने के लिये मेगास्थनीज द्वारा रचित ‘इण्डिका’ एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जिसमें तत्कालीन शासन व्यवस्था, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक अवस्था पर महत्वपूर्ण विवरण है।
2. कौटिल्य का अर्थशास्त्र :- कौटिल्य का अर्थशास्त्र भी तत्कालीन भारत के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिससे मौर्यों के बारे में पता चलता है।
3. विशाखदत्त का मुद्राराक्षस :- इस प्रमुख ग्रंथ में नन्द वंश का चन्द्रगुप्त द्वारा नाश का वर्णन है।
4. जैन और बौद्ध साहित्य :- जैन और बौद्ध दोनों धर्मों के साहित्य में तत्कालीन समाज, राजनीति आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
5. अशोक के शिलालेख :- विभिन्न स्थान-स्थान पर लगे अशोक के शिलालेख से भी मौर्यकालीन प्रशासन, धर्म, समाज अर्थव्यवस्था आदि पर प्रकाश पड़ता है।
4. गौतम बुद्ध के प्रमुख उपदेशों का वर्णन करें ।
उत्तर — गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्यों और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया। उन्होंने दुःख, उसके कारण, निरोध और उपाय पर जोर दिया। उन्होंने अहिंसा, करुणा, मध्यम मार्ग और निर्वाण को जीवन का लक्ष्य बताया।
5. अल बरुनी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर — अल बरुनी एक प्रसिद्ध अरबी विद्वान था जो महमूद ग़ज़नी के साथ भारत आया। उसने “किताब-उल-हिन्द” नामक ग्रंथ में भारत की संस्कृति, धर्म, खगोलशास्त्र, गणित और समाज व्यवस्था का वर्णन किया।
6. अकबर की धार्मिक नीति की विवेचना करें ।
उत्तर — अकबर की धार्मिक नीति ‘सुलह-ए-कुल’ पर आधारित थी। उसने सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता अपनाई, जजिया कर हटाया, दीन-ए-इलाही की स्थापना की और इबादतखाना की शुरुआत कर विभिन्न धर्मों के विद्वानों से संवाद किया।
7. स्थायी बन्दोबस्त से कम्पनी को क्या लाभ हुए ?
उत्तर — स्थायी बन्दोबस्त से कम्पनी को नियमित और स्थायी राजस्व प्राप्त होने लगा। यह व्यवस्था कर वसूली को स्थिर और निश्चित बनाती थी, जिससे अंग्रेजों को प्रशासनिक सुविधा और आर्थिक लाभ मिला।
8. 1857 के विद्रोह के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर — विद्रोह के मुख्य कारणों में सामाजिक-धार्मिक हस्तक्षेप, अंग्रेजी नीतियाँ, सैनिक असंतोष, आर्थिक शोषण और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना शामिल था। चर्बी वाले कारतूस इस विद्रोह का तात्कालिक कारण बना।
9. रॉलेट एक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर — 1919 में पारित रॉलेट एक्ट के तहत ब्रिटिश सरकार को बिना मुकदमे के किसी को भी गिरफ़्तार करने का अधिकार मिल गया। यह कानून नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन था और पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हुए।
10. असहयोग आन्दोलन के कारणों का वर्णन करें ।
उत्तर — असहयोग आंदोलन के कारणों में जलियांवाला बाग हत्याकांड, रॉलेट एक्ट और खिलाफत आंदोलन प्रमुख थे। ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों और न्याय की कमी ने लोगों को आंदोलन के लिए प्रेरित किया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. हड़प्पा सभ्यता के विस्तार की विवेचना करें ।
उत्तर — हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहते हैं, एक विशाल और सुनियोजित नगर सभ्यता थी, जिसका विस्तार आज के पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक था। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर था। यह लगभग 1300 से अधिक स्थलों तक फैली हुई थी। इसका विस्तार पश्चिम में मकरण तट (बलूचिस्तान) से लेकर पूर्व में उत्तर प्रदेश के मेरठ और आलमगीरपुर तक तथा उत्तर में जम्मू-कश्मीर के मांडा से लेकर दक्षिण में गुजरात के लोथल और दाइमाबाद तक था। प्रमुख स्थल थे — हड़प्पा (पाकिस्तान), मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, राखीगढ़ी (हरियाणा), कालीबंगा (राजस्थान), लोथल और धोलावीरा (गुजरात)। इन स्थलों से मिले प्रमाण जैसे — पक्की ईंटों से बने घर, नालियाँ, अन्नागार, मोहरें, तौल, मृदभांड, और हस्तशिल्प — इस सभ्यता की उन्नत नगर व्यवस्था और व्यापारिक संस्कृति को दर्शाते हैं। इस प्रकार, हड़प्पा सभ्यता एक विस्तृत, नगरीकृत और सुनियोजित संस्कृति थी, जो सिंधु-सरस्वती घाटी में विकसित हुई।
अथवा, मौर्य प्रशासन का वर्णन करें ।
उत्तर — मौर्य प्रशासन एक संगठित, केंद्रीकृत और सशक्त शासन प्रणाली थी, जिसकी आधारशिला चन्द्रगुप्त मौर्य ने रखी और चाणक्य (कौटिल्य) की सलाह से इसे मजबूती दी गई। इस प्रशासन का वर्णन मुख्यतः अर्थशास्त्र और मेगस्थनीज की ‘इंडिका’ से मिलता है। मौर्य शासन में राजा सर्वोच्च अधिकारी होता था और वह न्याय, सैन्य और आर्थिक कार्यों का संचालन करता था। राजा की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद होती थी, जिसमें अनेक उच्चाधिकारी होते थे—जैसे अमात्य (मंत्री), सेनापति, पुरोहित आदि। साम्राज्य को प्रांतों में बाँटा गया था, जिन पर कुमार या महामात्य नियुक्त होते थे। जिले और गाँवों में भी अधिकारी होते थे जैसे ग्रामिक (ग्राम प्रमुख)। कर व्यवस्था बहुत सुव्यवस्थित थी। कृषक, व्यापारी और शिल्पकार से कर लिया जाता था। कानून व्यवस्था हेतु न्यायालय और दंड प्रणाली थी। मौर्य प्रशासन में गुप्तचरी तंत्र भी अत्यंत प्रभावशाली था, जिससे राज्य की गतिविधियों पर नज़र रखी जाती थी। कुल मिलाकर मौर्य प्रशासन प्राचीन भारत की एक आदर्श और अनुशासित प्रशासनिक व्यवस्था थी।
2. सूफीवाद पर संक्षिप्त लेख लिखें ।
उत्तर — सूफीवाद इस्लाम की रहस्यवादी शाखा है, जो प्रेम, सहिष्णुता और आत्मिक भक्ति पर बल देता है। यह 8वीं सदी में पश्चिम एशिया में आरंभ हुआ और 11वीं सदी में भारत में आया। सूफी संतों का विश्वास था कि ईश्वर को केवल दिल से प्रेम और भक्ति के माध्यम से पाया जा सकता है, न कि केवल धार्मिक कर्मकांडों से। इन्होंने धर्मनिरपेक्षता, मानवता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया। प्रमुख सूफी संत जैसे — ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया, शेख सलीम चिश्ती आदि ने अपने उपदेशों और संगीत (कव्वाली) के माध्यम से आम जनता से संवाद किया। सूफीवाद ने हिंदू- मुस्लिम एकता को भी प्रोत्साहित किया और भक्ति आंदोलन पर भी प्रभाव डाला। इन संतों की खानकाहें (मठ) सामाजिक सहयोग के केंद्र बन गईं।
इस प्रकार, सूफीवाद भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयाम बन गया।
अथवा, भक्ति आन्दोलन के प्रमुख प्रभावों का वर्णन करें ।
उत्तर — भक्ति आंदोलन का प्रभाव भारतीय समाज, धर्म और संस्कृति पर गहरा पड़ा। इस आंदोलन ने सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और ब्राह्मणवाद के विरोध में आवाज़ उठाई और समाज को समरसता की ओर ले जाने का प्रयास किया। संत कबीर, तुलसीदास, मीराबाई, गुरुनानक आदि संतों ने ईश्वर की भक्ति, मानवता, अहिंसा और सत्य पर बल दिया। इस आंदोलन ने धार्मिक कट्टरता को चुनौती दी और हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। संस्कृत के स्थान पर क्षेत्रीय भाषाओं में रचनाएं हुईं, जिससे आम जनता को धर्म और भक्ति के सिद्धांतों को समझने का अवसर मिला। इससे सामाजिक सुधार, भाषाई विकास और एक नैतिक चेतना का जन्म हुआ। भक्ति आंदोलन ने तत्कालीन मुस्लिम शासकों के अत्याचारों के विरुद्ध वैचारिक प्रतिरोध खड़ा किया और धर्म के नाम पर विभाजन को नकारा। इसने भारतीय जनमानस में आध्यात्मिक जागरण उत्पन्न किया।
3. अकबर की मनसबदारी व्यवस्था का वर्णन करें ।
उत्तर — अकबर ने प्रशासनिक सुधारों के तहत मनसबदारी व्यवस्था की शुरुआत की। ‘मनसब’ का अर्थ पद या रैंक होता है। यह व्यवस्था सैन्य और नागरिक अधिकारियों को रैंक देने के लिए थी। प्रत्येक मनसबदार को ‘जात’ और ‘सवार’ के अनुसार श्रेणियों में बाँटा गया। ‘जात’ से अधिकारी की स्थिति और वेतन निर्धारित होता था, जबकि ‘सवार’ संख्या बताती थी कि उसे कितने घुड़सवार रखने हैं। मनसबदारों को भूमि से राजस्व वसूली का अधिकार नहीं था, बल्कि उन्हें नकद वेतन मिलता था। इससे प्रशासन में अनुशासन और पारदर्शिता आई। यह व्यवस्था केन्द्र और प्रांत दोनों स्तरों पर लागू थी। अकबर ने इस प्रणाली का प्रयोग योग्य अधिकारियों की नियुक्ति और सेना के संगठन में किया। यह मुगल शासन की एक सुदृढ़ और स्थायी प्रशासनिक संरचना मानी जाती है।
अथवा, ‘दीन-ए-इलाही’ पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखें ।
उत्तर — ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर द्वारा 1582 ई. में शुरू किया गया एक धार्मिक आंदोलन था, जिसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के तत्वों को मिलाकर एक सार्वभौमिक आस्था प्रणाली बनाना था। इसमें हिंदू, इस्लाम, जैन, बौद्ध, ज़ोरोस्ट्रियन तथा ईसाई धर्मों के तत्व सम्मिलित किए गए थे। यह धर्म ईश्वर की एकता, शाकाहार, अहिंसा, उदारता, अकबर की उपासना, और धार्मिक सहिष्णुता पर आधारित था। इसमें कोई ग्रंथ, मंदिर या बाहरी अनुष्ठान नहीं था। इसके अनुयायी अत्यंत सीमित थे—प्रमुख रूप से राजा बीरबल। यह राजनीतिक एकता और धार्मिक समरसता की दिशा में अकबर का प्रयोग था। यद्यपि यह धर्म व्यापक स्तर पर स्वीकार नहीं किया गया, लेकिन इससे अकबर की धर्मनिरपेक्ष सोच और समन्वयवादी दृष्टिकोण का परिचय मिलता है। ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और नवाचार की भावना का प्रतीक रहा।
4. 1857 की क्रान्ति के स्वरूप की विवेचना करें ।
उत्तर — 1857 की क्रांति भारतीय इतिहास की पहली संगठित जनविद्रोह थी। इसके स्वरूप को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ इसे केवल सैनिक विद्रोह मानते हैं, जबकि अन्य इसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहते हैं। यह विद्रोह सिर्फ सेना तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें किसान, ज़मींदार, पूर्व शासक और आम जनता भी शामिल थी। यह विद्रोह व्यापक क्षेत्रों में फैला – जैसे मेरठ, दिल्ली, कानपुर, झांसी, अवध, बिहार आदि। विद्रोह का नेतृत्व बहादुर शाह ज़फ़र, रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब, तांत्या टोपे जैसे नेताओं ने किया। क्रांति का उद्देश्य अंग्रेजी शासन की समाप्ति और परंपरागत राज व्यवस्था की पुनः स्थापना था। धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक असंतोष ने इसे जनआंदोलन का रूप दे दिया। यद्यपि यह विद्रोह असफल रहा, परंतु इसने भारतीय समाज में स्वतंत्रता की चेतना को गहराई से स्थापित कर दिया।
अथवा, असहयोग आन्दोलन की प्रकृति एवं परिणामों का वर्णन करें ।
उत्तर — असहयोग आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने 1920 ई. में की थी। यह आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक था और अंग्रेजी शासन से असहयोग की नीति पर आधारित था। इसका उद्देश्य न्यायपालिका, शिक्षा, प्रशासन और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करना था। आंदोलन की प्रकृति जनसामान्य के सहभाग से जनांदोलन जैसी थी। कांग्रेस ने सरकारी उपाधियों, नौकरियों, स्कूलों और अदालतों का बहिष्कार किया। आंदोलन ने भारतीय जनता में राजनीतिक जागरूकता उत्पन्न की और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ किया। इसने गांव-गांव तक स्वतंत्रता संग्राम की भावना को पहुँचाया। यद्यपि चौरी-चौरा कांड के बाद गांधीजी ने आंदोलन को वापस ले लिया, फिर भी इसने ब्रिटिश सरकार की नींव को हिला दिया और भारत की स्वतंत्रता के लिए जनसहभागिता का मार्ग प्रशस्त किया। यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है।
5. भारतीय स्वतंत्रता की प्राप्ति में सहायक तत्त्वों पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर — भारत की स्वतंत्रता एक लंबी और बहुआयामी प्रक्रिया का परिणाम थी, जिसमें कई तत्त्वों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सबसे पहले, राष्ट्रीय चेतना का उदय—19वीं सदी में सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों ने लोगों में राष्ट्रीय भावना जगाई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन (1885) के बाद स्वतंत्रता संग्राम को संगठित दिशा मिली। महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन ने जनसामान्य को सक्रिय किया। प्रेस और शिक्षा ने राजनीतिक चेतना का विस्तार किया। क्रांतिकारी गतिविधियों ने युवाओं में साहस और बलिदान की भावना भरी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन आर्थिक और सैन्य रूप से कमजोर हो गया, जिससे उसे भारत में शासन बनाए रखना कठिन हो गया। अंतरराष्ट्रीय दबाव, जैसे अमेरिका और सोवियत संघ की स्वतंत्रता समर्थक नीति और ब्रिटिश जनता की राय में परिवर्तन भी महत्त्वपूर्ण कारक थे। इसके अतिरिक्त नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज, तथा औपनिवेशिक सरकार के कर्मचारियों और सिपाहियों में असंतोष ने भी ब्रिटिश शासन की नींव को हिला दिया। इन सभी तत्त्वों ने मिलकर स्वतंत्रता प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया।
अथवा, भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी के योगदानों का वर्णन करें ।
उत्तर — महात्मा गाँधी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के केंद्रीय नेता थे, जिन्होंने सत्य, अहिंसा और जन-सहभागिता के सिद्धांतों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को जनांदोलन में परिवर्तित कर दिया। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद उन्होंने भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। 1917 में चम्पारण सत्याग्रह, 1918 में ख़ेड़ा सत्याग्रह, और अहमदाबाद मिल मज़दूर हड़ताल के माध्यम से उन्होंने किसानों और मज़दूरों की आवाज़ बुलंद की। 1919 में रॉलेट एक्ट का विरोध किया और 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया। 1930 में उन्होंने नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा द्वारा ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों का विरोध किया। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। गाँधीजी ने राजनीतिक आंदोलनों को नैतिक और सामाजिक सुधारों से जोड़ा और विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाकर स्वतंत्रता संग्राम को सशक्त बनाया। उनका योगदान स्वतंत्रता आंदोलन में नैतिक शक्ति और जनचेतना का स्रोत रहा।
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