BSEB Class 10th इतिहास अध्याय 7 “व्यापार और भूमंडलीकरण (Trade and Globalization)” का Objective & Subjective Answer Question

Bihar Board Class 10 History : प्रिय विद्यार्थीयों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal For Bihar Board Exams) आपके लिए लाया है BSEB Class 10th इतिहास अध्याय 7 “व्यापार और भूमंडलीकरण (Trade and Globalization)” का Objective & Subjective Answer Question

MCQ Questions

1. वैसा बाजार जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो, उसे क्या कहते हैं ?
(A) गंज       
(B) विश्व बाजार        
(C) मेला        
(D) मंडी

2. विश्व बाजार की अवधारणा किस युग की देन हैं ?
(A) प्राचीनकाल युग की    
(B) मध्यकालीन युग की        
(C) आधुनिक युग की    
(D) इनमें से कोई नहीं

3. विश्व बाजार की शुरुआत कब से आरंभ हो चुके थे ?
(A) प्राचीन काल से     
(B) मध्यकाल से        
(C) आधुनिक काल से 
(D) इनमें से कोई नहीं

4. आधुनिक युग में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में होने वाली सबसे बड़ी क्रांति कौन-सी थी ?
(A) वाणिज्यिक क्रांति    
(B) औद्योगिक क्रांति        
(C) साम्यवादी क्रांति   
(D) भौगोलिक खोज

5. प्राचीन काल में किस स्थल मार्ग से एशिया और यूरोप का व्यापार होता था ?
(A) सूती मार्ग          
(B) रेशम मार्ग        
(C) उत्तर पथ         
(D) दक्षिण पथ

6. दिलमुन का आधुनिक नाम किया है ?
(A) बहरीन       
(B) बगदाद       
(C) दमिश्क       
(D) तेहरान

7. मेंलुहा किस तट पर स्थित है ?
(A) मालावार तट     
(B) सरकार तट        
(C) मकरान तट    
(D) इनमें से कोई नहीं

8. पहला विश्व बाजार के रूप में कौन-सा शहर उभर कर आया था ?
(A) अलेक्जेंड्रिया     
(B) दिलमुन       
(C) मैनचेस्टर  
(D) बहरीन

9. तीन महादेशों अफ्रीका, यूरोप और एशिया के व्यापारियों का केन्द्र था ?
(A) अलेक्जेंड्रिया     
(B) दिलमुन       
(C) मैनचेस्टर      
(D) बहरीन

10. अलेक्जेंड्रिया नामक शहर को किसने लाल सागर के मुहाने पर स्थापित किया था ?
(A) समुंद्रगुप्त        
(B) चंद्रगुप्त मौर्य       
(C) नेपोलियन      
(D) सिकन्दर

11. सिकन्दर (Alexander : The Great) कहाँ का निवासी था ?
(A) भारत का     
(B) फ्रांस का        
(C) यूनान का   
(D) रूस का

12. वाणिज्यिक क्रांति का केन्द्र था ?
(A) यूरोप
      
(B) अमेरिका       
(C) अफ्रीका       
(D) एशिया

13. औद्योगिक क्रांति का केन्द्र था ?
(A) भारत       
(B) इंग्लैंड        
(C) जर्मनी         
(D) चीन

14. उपनिवेशवाद का एक मात्र उद्देश्य था ?
(A) आर्थिक शोषण करना    
(B) राजनीतिक शोषण करना        
(C) सामाजिक शोषण करना    
(D) धार्मिक शोषण करना

15. ‘गिरमिटिया मजदूर’ बिहार के किस क्षेत्र से भेजे जाते थे ?
(A) पूर्वी क्षेत्र         
(B) पश्चिमी क्षेत्र        
(C) उत्तरी क्षेत्र  
(D) दक्षिणी क्षेत्र

16. औपनिवेशिक देशों के ऐसे श्रमिक जिन्हें एक निश्चित समझौता द्वारा निश्चित समय के लिए अपने शासित क्षेत्रों में ले जाते थे, क्या कहलाते थे ?
(A) कृषक मजदूर      
(B) गिरमिटिया मजदूर        
(C) साधारण मजदूर   
(D) इनमें से कोई नहीं

17. विश्व बाजार का विस्तार आधुनिक काल में किस समय से आरंभ हुआ था ?
(A) 15वीं शताब्दी     
(B) 18वीं शताब्दी        
(C) 19वीं शताब्दी    
(D) 20वीं शताब्दी

18. प्रथम विश्वयुद्ध ने कहाँ की अर्थव्यवस्था को बिल्कुल तबाह कर दिया था ?
(A) यूरोप की      
(B) एशिया की        
(C) अमेरिका की    
(D) अफ्रीका की

19. पेरिस शांति समझौता कब हुआ था ?
(A) 1815 में      
(B) 1829 में        
(C) 1871 में     
(D) 1919 में

20. प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद किसके द्वारा यूरोप की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया था ?
(A) भारत       
(B) इंग्लैंड        
(C) अमेरिका 
(D) चीन

21. 1923 में विश्व को पूँजी देने वाला दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदाता देश कौन था ?
(A) भारत       
(B) इंग्लैंड        
(C) अमेरिका 
(D) चीन

22. “दि कॉमर्स ऑफ नेशन” नामक पुस्तक के लेखक कौन है ?
(A) एडम स्थिम    
(B) काडलिफ        
(C) रैगनर नर्क्स      
(D) आर्थर लेविस

23. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस वर्ष से आरंभ हुआ था ?
(A) 1914       
(B) 1922       
(C) 1929        
(D) 1927

24. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस देश से आरंभ हुआ था ?
(A) भारत       
(B) इंग्लैंड        
(C) अमेरिका         
(D) फ्रांस

25. 1929 के आर्थिक संकट किसके माध्यम से उभरकर सामने आया था ?
(A) बॉम्बे शेयर मार्केट            
(B) न्यूर्याक शेयर मार्केट        
(C) नेशनल शेयर मार्केट          
(D) लंदन शेयर मार्केट

26. 1929 के आर्थिक मंदी का सबसे बुरा असर किसको झेलना पड़ा था ?
(A) रूस        
(B) इंग्लैंड        
(C) अमेरिका        
(D) जर्मनी

27. किस देश पर आर्थिक मंदी का प्रभाव बिलकुल नहीं पड़ा था ?
(A) जर्मनी       
(B) इंग्लैंड        
(C) रूस         
(D) अमेरिका

28. अमेरिका के किस राष्ट्रपति ने न्यू डील (नवीन आर्थिक नीतियों) को लागू किया था ?
(A) अब्राहम लिंकन    
(B) जॉन एफ केनेडी        
(C) रिचर्ड निक्सन   
(D) फ्रैंकलीन डी रूजवेल्ट

29. ओटावा समझौता किस वर्ष हुआ था ?
(A) 1815       
(B) 1829       
(C) 1871        
(D) 1932

30. “ओस्लो गुट” किन देशों ने बनाया था ?
(A) नार्वे और फिनलैंड ने   
(B) नार्वे और स्वीडन ने       
(C) डेनमार्क और स्वीडन ने      
(D) फिनलैंड और डेनमार्क ने

31. किस सम्मेलन में जर्मनी के क्षतिपूर्ति राशि को कम कर दिया गया था, ताकि व्यापार बढ़े ?
(A) याल्टा सम्मेलन     
(B) ब्रेटन वुडस सम्मेलन       
(C) लोजान सम्मेलन  
(D) वियना सम्मेलन

32. किसने पहली बार यूरोप में एक आर्थिक संघ बनाने का सुझाव दिया था ?
(A) फ्रांस के विदेश मंत्री ब्रिया   
(B) फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रिया       
(C) जर्मनी के विदेश मंत्री ब्रिया  
(D) इंग्लैंड के विदेश मंत्री ब्रिया

33. आर्थिक संकट (मंदी) के कारण यूरोप में कौन-सी नई शासन प्रणाली का उदय हुआ था ?
(A) साम्यवादी शासन प्रणाली       
(B) लोकतांत्रिक शासन प्रणाली       
(C) फासीवादी और नाजीवादी शासन  
(D) पूंजीवादी शासन प्रणाली

34. हिटलर का उदय कहाँ हुआ था ?
(A) रूस में     
(B) इंग्लैंड में    
(C) अमेरिका में    
(D) जर्मनी में

35. याल्टा सम्मेलन कब हुआ था ?
(A) 1944       
(B) 1945       
(C) 1946        
(D) 1947

36. द्वितीय महायुद्ध के बाद पुनर्निर्माण का सभी व्यावहारिक काम कौन दो बड़े प्रभावों वाले देशों के साए में हुआ था ?
(A) भारत और पाकिस्तान
(B) रूस और चीन       
(C) इंग्लैंड और फ्रांस
(D) USA और USSR

37. “बाजार आधारित अर्थव्यवस्था बिना उपभोग के कायम नहीं रह सकती” यह सबक कहाँ से मिला था ?
(A) 1929 के महामंदी से         
(B) प्रथम विश्व युद्ध से       
(C) द्वितीय विश्व युद्ध से           
(D) इनमें से कोई नहीं

38. ब्रेटन वुडस सम्मेलन किस वर्ष हुआ था ?
(A) 1947 
(B) 1948       
(C) 1944 
(D) 1952

39. किस सम्मेलन के द्वारा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना हुई थी ?
(A) याल्टा सम्मेलन   
(B) पेरिस सम्मेलन       
(C) लोजान सम्मेलन   
(D) ब्रेटन वुडस सम्मेलन

40. किन दोनों वित्तीय संस्थाओं को जुड़वाँ संतान के नाम से जाना जाता है ?
(A) विश्व बैंक और रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया       
(B) विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)       
(C) विश्व बैंक और एशिया विकास बैंक        
(D) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और एशिया विकास बैंक

41. CIA किस देश की खुफिया संस्था है ?
(A) रूस        
(B) इजरायल      
(C) अमेरिका      
(D) भारत

42. यहूदी राष्ट्र है ?
(A) रूस        
(B) इजरायल     
(C) अमेरिका      
(D) भारत

43. ‘बेनेलेक्स’ नामक संघ कब बनाया गया था ?
(A) 1947       
(B) 1948       
(C) 1944        
(D) 1952

44. द्वितीय महायुद्ध के बाद यूरोप में कौन-सी संस्था का उदय आर्थिक दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए हुआ था ?
(A) सार्क (SAARC)             
(B) नाटो (NATO)    
(C) ओपेक (OPEC)             
(D) यूरोपीयन संघ (EU)

45. भूमंडलीकरण नामक शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल किसने किया था ?
(A) केन विलियम्सन    
(B) जॉन विलियम्सन       
(C) रैगनर नर्क्स     
(D) इनमें से कोई नहीं

46. भूमंडलीकरण की शुरुआत किस दशक में हुआ था ?
(A) 1990 के दशक में       
(B) 1970 के दशक में        
(C) 1960 के दशक में       
(D) 1980 के दशक में

47. W.T.O (विश्व व्यापार संगठन) की स्थापना किस वर्ष की गई थी ?
(A) 1944     
(B) 1945       
(C) 1948        
(D) 1995

48. जी-7 की स्थापना कब हुई थी ?
(A) 1945       
(B) 1975       
(C) 1985        
(D) 1995

49. दक्षेस (SAARC) की स्थापना किस वर्ष हुई थी ?
(A) 1945      
(B) 1975       
(C) 1985        
(D) 1995

50. आर्थिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने किसको जन्म दिया है ?
(A) अमेरिका के नवीन आर्थिक साम्राज्यवाद को       
(B) इंग्लैंड के नवीन आर्थिक साम्राज्यवाद को       
(C) रूस के नवीन आर्थिक साम्राज्यवाद को        
(D) चीन के नवीन आर्थिक साम्राज्यवाद को

Subjective Answer Question

Q) विश्व बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर — वैसा बाजार जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ क्रय-विक्रय हेतु उपलब्ध हो, विश्व बाजार कहलाता है । प्राचीन और मध्यकाल के विश्व बाजार का स्वरूप एक बड़े व्यापारिक केन्द्र के रूप में था, जहाँ सिर्फ वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता था । परंतु आधुनिक काल में विश्व बाजार का स्वरूप परिवर्तित हुआ है ।

Q) औद्योगिक क्रांति क्या है ?
उत्तर — औद्योगीकरण के कारण मनुष्य के आर्थिक और सामाजिक जीवन में हुए परिवर्तन को औद्योगिक क्रांति कहते हैं ।

Q) आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं ?
1st उत्तर — अर्थव्यवस्था की वह अवस्था जिसमें आर्थिक गतिविधियाँ सुस्त पड़ जाती है, उत्पादन कम हो जाता है, श्रमिकों की छटनी होने से बेरोजगारी बढ़ जाती है और लोगों का जीवन-स्तर गिरने लगता है, आर्थिक संकट कहलाता है ।
2nd उत्तर — अर्थव्यवस्था में आने वाली वैसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग तथा व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाए, बैंकों तथा कम्पनियों का दिवाला निकल जाय, वस्तु और मुद्रा दोनों का बाजार में कोई कीमत न रह जाए तो ऐसी स्थिति को ‘आर्थिक संकट’ कहते हैं ।

Q) रेशम मार्ग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर — चीन से समरकंद, पर्शिया, सीरिया होते हुए रोम तक जिस मार्ग से रेशम का व्यापार होता था, उस मार्ग को ही रेशम मार्ग कहा जाता था । इसी रेशम मार्ग से मुद्रण कला यूरोप में पहुंची थी ।

Q) न्यू डील क्या थी ?
उत्तर — आर्थिक मंदी के प्रभावों को समाप्त करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 1932 में नई आर्थिक नीति अपनाई जिसे न्यू डील के नाम से जाना जाता है ।

Q) भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर — वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं को एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया जाता है जिससे पूरे विश्व में वस्तुओं और सेवाओं, पूँजी और श्रम का निर्वाह प्रवाह सुनिश्चित हो सके । वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका के जॉन विलियमसन ने 1990 में किया था ।

Q) ब्रेटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर — 1944 में हुए ब्रेटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न होने वाले संभावित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकट का हल ढूंढना था । इसी सम्मेलन में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नींव पड़ी ।

Q) 1929 के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें ।
उत्तर — महान आर्थिक मंदी 1929 में आई थी । इस मंदी का असर संपूर्ण विश्व पर पड़ा । कृषि क्षेत्र पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ा । मंदी के कारण रोजगार, आय और व्यापार आदि में गिरावट आयी । इस दौरान कृषि में उत्पादन अधिक हुआ था परंतु इसके मूल्य में भारी गिरावट आई ।

Q) औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?
उत्तर — औद्योगिक क्रान्ति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बना दिया । इसी के साथ जैसे-जैसे औद्योगिक क्रान्ति का विकास हुआ बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता चला गया और 20वीं शताब्दी के पहले तक तो इसने सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली ।

Q) विश्व बाजार के स्वरूप को समझाएँ ।
उत्तर — औद्योगिक क्रान्ति के फैलाव के साथ-साथ बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता गया । इसने व्यापार, श्रमिकों का पलायन और पूंजी का प्रवाह इन तीन आर्थिक प्रवृत्तियों को जन्म दिया । व्यापार मुख्यतः कच्चे मालों को इंग्लैंड और अन्य यूरोपीय देशों तक पहुँचाने और वहाँ के कारखानों में निर्मित वस्तुओं को विश्व के कोने-2 में पहुंचाने तक सीमित था ।

Q) भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान (भूमिका) को स्पष्ट करें ।
उत्तर — 1980 के दशक के बाद आर्थिक रूप से काफी जर्जर हो चुकी स्थिति के प्रभाव को कम करने में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का योगदान काफी सराहनीय रहा जिसने भूमंडलीकरण को बढ़ावा दिया ।

Q) 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर — द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद उससे उत्पन्न समस्या को हल करने तथा व्यापक तबाही से निबटने के लिए पुनर्निर्माण का कार्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आरंभ हुआ । 1957 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय, यूरोपीय इकॉनॉमिक कम्युनिटी की स्थापना की गयी । इसमें फ्रांस, प. जर्मनी, बेल्जियम, हालैण्ड, लग्जमबर्ग और इटली शामिल हुआ । इन देशों ने एक साझा बाजार स्थापित किया । 1960 में ग्रेट ब्रिटेन इसका सदस्य बना । तत्कालीन विश्व के दोनों महत्वपूर्ण आर्थिक शक्तियाँ अमेरिका एवं सोवियत रूस अपना प्रभाव स्थापित करना चाहते थे । इस प्रयास में अमेरिका की सहायता, विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की । जबकि रूस ने अपने विचारों और राजनैतिक शक्ति का इस्तेमाल ज्यादा किया । दोनों देशों ने अपनी नीतियों के अनुसार विश्व को काफी हद तक प्रभावित किया ।

Q) भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें ।
उत्तर — भूमंडलीकरण ने भारत पर आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक सभी स्तरों पर प्रभाव डाला है। आर्थिक क्षेत्र में विदेशी निवेश, निर्यात और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिला, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े। सामाजिक व सांस्कृतिक स्तर पर उपभोक्तावाद, जीवनशैली में बदलाव और पाश्चात्य प्रभाव बढ़ा। साथ ही, यह क्षेत्रीय असमानताओं, पर्यावरणीय चुनौतियों और पारंपरिक उद्योगों पर दबाव का कारण भी बना। कुल मिलाकर, इसके लाभ व हानियाँ दोनों भारत में महसूस की गईं।

Q) विश्व बाजार के लाभ हानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर —
विश्व बाजार के लाभ — विश्व बाजार ने व्यापार और उद्योग को तीव्र गति से बढ़ाया । आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था के उदय में सहायता की । औपनिवेशिक देशों में यातायात के साधनों, खनन, बागवानी जैसे संरचनात्मक क्षेत्र का विकास हुआ । कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया । नवीन तकनीकों को सृजित किया । शहरीकरण के विस्तार में सहायता की ।
विश्व बाजार की हानि — इससे औपनिवेशिक देशों का शोषण और तीव्र हो गया । लघु तथा कुटीर उद्योग नष्ट होने लगे ।

Q) 1929 के आर्थिक संकट के कारण और परिणामों को स्पष्ट करें ।
1st उत्तर — 1929 के आर्थिक संकट के निम्नलिखित कारण थे –
i) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मांग में कमी आने से औद्योगिक उत्पादन कम हो गया जिससे श्रमिकों की छटनी होने लगी ।
ii) श्रमिकों की छटनी होने से बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई जिससे लोगों की क्रय शक्ति घट गई ।
iii) मंदी का आभास पाते ही अमेरिका द्वारा यूरोपीय बाजारों से अपनी पूँजी वापस खींच लेना ।
iv) अमेरिकी शेयर बाजार में आई अप्रत्याशित गिरावट ने आर्थिक मंदी की शुरुआत कर दी ।
1929 के आर्थिक संकट के निम्नलिखित परिणाम हुए –
i) 1929 के आर्थिक संकट के परिणाम पूरी दुनिया में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ गई जिससे लोगों का जीवन कष्टमय हो गया ।
ii) आर्थिक संकट ने जर्मनी और इटली जैसे देशों में तानाशाही शासन को जन्म दिया ।
iii) आर्थिक संकट का सोवियत रूस पर न के बराबर असर पड़ा जिससे साम्यवाद के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा, जिससे पूरे विश्व में साम्यवाद का प्रसार हुआ।

2nd उत्तर — 1929 की आर्थिक मंदी, जिसे “महामंदी” (Great Depression) के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं सदी की सबसे लंबी और गहरी आर्थिक मंदी थी। इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई, लेकिन इसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया।
महामंदी के प्रमुख कारण
i) अति-उत्पादन की समस्या :- प्रथम विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ। कारखाने बड़ी मात्रा में सामान बना रहे थे, लेकिन आम लोगों की क्रय शक्ति कम थी। इस वजह से बाजार में सामानों का भंडार लग गया और मांग में भारी कमी आई, जिससे उत्पादन कम करना पड़ा और बेरोजगारी बढ़ी। कृषि क्षेत्र में भी अति-उत्पादन की समस्या थी, जिससे फसलों की कीमतें बहुत गिर गईं।
ii) शेयर बाजार में गिरावट (वॉल स्ट्रीट क्रैश) :- 24 अक्टूबर 1929 को वॉल स्ट्रीट शेयर बाजार में अचानक भारी गिरावट आई, जिसे “ब्लैक थर्सडे” कहा जाता है। 29 अक्टूबर को “ब्लैक ट्यूसडे” के नाम से एक और बड़ी गिरावट हुई। लाखों निवेशकों ने अपना सब कुछ खो दिया। इस घटना ने लोगों के भरोसे को हिला दिया और आर्थिक मंदी को और गहरा कर दिया।
iii) बैंकों का विफल होना :- शेयर बाजार में गिरावट के बाद, लोगों में घबराहट फैल गई और उन्होंने बैंकों से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया। बैंक, जिनके पास पर्याप्त नकदी नहीं थी, दिवालिया होने लगे। 1929 से 1932 के बीच अमेरिका में लगभग 5000 बैंक बंद हो गए।
iv) अमेरिकी ऋणों की वापसी :- 1920 के दशक के मध्य में, कई यूरोपीय देशों ने अमेरिका से ऋण लेकर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्निर्माण किया था। मंदी के संकेत मिलते ही, अमेरिका ने इन ऋणों की वापसी की मांग की, जिससे उन देशों में भी आर्थिक संकट गहरा गया।
v) सरकार की नीतियां :- अमेरिकी सरकार की कुछ नीतियां, जैसे 1930 का स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम, जिसने आयातित सामानों पर शुल्क बढ़ा दिया, ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बाधित कर दिया और मंदी को और गंभीर बना दिया।
महामंदी के प्रभाव
i) भारी बेरोजगारी :- कारखाने बंद होने और उत्पादन घटने से लाखों लोग बेरोजगार हो गए। अमेरिका में 1929 से 1933 के बीच बेरोजगारी की दर 3% से बढ़कर 25% हो गई।
ii) व्यापार में गिरावट :- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लगभग समाप्त हो गया। देशों ने अपने-अपने बाजारों को बचाने के लिए आयात शुल्क बढ़ा दिए, जिससे वैश्विक व्यापार में भारी कमी आई।
iii) कृषि क्षेत्र पर बुरा असर :- कृषि उत्पादों की कीमतें 50% तक गिर गईं, जिससे किसानों की आय कम हो गई और वे कर्ज के जाल में फंस गए।
iv) गरीबी और भुखमरी :- बेरोजगारी और कीमतों में गिरावट के कारण गरीबी, भूखमरी और बेघर होने की समस्या बढ़ गई। लोग अपनी जमा पूंजी खो चुके थे।
v) राजनीतिक अस्थिरता :- मंदी से उत्पन्न समस्याओं को हल करने में लोकतांत्रिक सरकारें विफल रहीं, जिससे कई देशों में तानाशाही शासन का उदय हुआ।
vi) भारत पर प्रभाव :- महामंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डाला। 1928-34 के बीच भारत का आयात-निर्यात आधा हो गया। कृषि उत्पादों, जैसे गेहूं और जूट की कीमतें गिर गईं, जिससे किसानों की हालत खराब हो गई। हालांकि, सरकार ने लगान वसूली में कोई ढील नहीं दी, जिससे किसानों में असंतोष बढ़ा।

Q) 1945 से 1960 के बीच विश्व-स्तर पर विकसित होने वाले आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर —
1945 के बाद विश्व में दो विभिन्न अर्थव्यवस्था का प्रभाव बढ़ा और दोनों ने विश्व स्तर पर अपने प्रभावों तथा नीतियों को बढ़ाने का प्रयास किया । इस स्थिति से विश्व में एक नई आर्थिक और राजनैतिक प्रतिस्पर्धा ने जन्म लिया । सम्पूर्ण विश्व मुख्यतः दो गुटों में विभाजित हो गया। एक साम्यवादी अर्थतन्त्र वाले देशों के गुट का नेतृत्व सोवियत रूस कर रहा था । दूसरा पूँजीवादी अर्थतन्त्र वाले देशों के गुट का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था ।

Q) भूमंडलीकरण के कारण आमलोगों के जीवन में आने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करें ।
उत्तर —
भूमंडलीकरण के कारण जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है । इसकी झलक शहर, कस्बा और गाँव सभी जगहों पर दिख रही है । इसके कारण जीविकोपार्जन के कई नए क्षेत्र खुले हैं जैसे – कॉल सेंटर, शॉपिंग मॉल, होटल और रेस्टोरेंट, बैंक और बीमा क्षेत्र में दी जाने वाली सुविधा, दूरसंचार और सूचना तकनीक का विकास इत्यादि । इन क्षेत्रों में कई लोगों को रोजगार मिला है जिससे अच्छी आमदनी होती है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आर्थिक भूमण्डलीकरण ने हमारी आवश्यकताओं के दायरे को बढ़ाया है और उसी अनुरूप उसकी पूर्ति हेतु नयी-2 सेवाओं का उदय हो रहा है जिससे जुड़कर लाखों लोग अपनी जीविका चला रहे हैं इससे उनका जीवन स्तर भी बढ़ा है ।

Q) 1919 से 1945 के बीच विकसित होने वाले राजनैतिक और आर्थिक संबंधों पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर —
1919 से 1945 का कालखंड, जिसे अक्सर “दो विश्व युद्धों के बीच का युग” (Interwar Period) कहा जाता है, विश्व इतिहास में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल का एक निर्णायक दौर था। इस दौरान विकसित होने वाले संबंधों ने न केवल द्वितीय विश्व युद्ध को जन्म दिया, बल्कि युद्ध के बाद की दुनिया की नींव भी रखी।
राजनीतिक संबंध
इस अवधि के राजनीतिक संबंध मुख्य रूप से प्रथम विश्व युद्ध के परिणामों, राष्ट्रवाद के उदय और विचारधाराओं के टकराव से प्रभावित थे।
i) वर्साय की संधि और उसका प्रभाव :- 1919 में हुई वर्साय की संधि ने प्रथम विश्व युद्ध को औपचारिक रूप से समाप्त किया, लेकिन इसने जर्मनी पर कठोर शर्तें थोप दीं। जर्मनी को युद्ध का दोषी ठहराया गया, उस पर भारी क्षतिपूर्ति लगाई गई, और उसके क्षेत्रों को छीन लिया गया। इस अपमानजनक संधि ने जर्मनी में गहरी नाराजगी और प्रतिशोध की भावना को जन्म दिया, जिसने हिटलर जैसे नेताओं के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।
ii) राष्ट्र संघ (League of Nations) :- युद्ध को रोकने और अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखने के उद्देश्य से 1920 में राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। हालांकि, यह संस्था अमेरिका के शामिल न होने और प्रमुख देशों (जैसे जापान और इटली) के आक्रमणों को रोकने में अपनी विफलता के कारण कमजोर रही। राष्ट्र संघ की असफलता ने यह दिखा दिया कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अभी भी एक दूर का सपना था।
iii) आक्रामक राष्ट्रवाद और अधिनायकवाद का उदय :- 1920 के दशक के शांतिपूर्ण माहौल के बाद, 1930 के दशक में आक्रामक राष्ट्रवाद का उभार हुआ। इटली में फासीवाद (मुसोलिनी), जर्मनी में नाजीवाद (हिटलर), और जापान में सैन्यवाद (Militarism) जैसी अधिनायकवादी विचारधाराओं ने जोर पकड़ा। इन सरकारों ने अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आक्रामक विदेश नीतियां अपनाईं और सैन्य शक्ति का विस्तार किया।
iv) साम्यवाद का प्रसार :- 1917 की रूसी क्रांति के बाद, सोवियत संघ एक साम्यवादी महाशक्ति के रूप में उभरा। इससे पश्चिमी पूंजीवादी देशों और सोवियत संघ के बीच एक वैचारिक दरार पैदा हुई, जिसने भविष्य के शीत युद्ध की नींव रखी।
आर्थिक संबंध
इस कालखंड में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अस्थिरता और संकट से भरे थे, जिसने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया।
i) महामंदी (The Great Depression) :- 1929 में अमेरिका में शुरू हुई महामंदी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। बैंकों के विफल होने, बेरोजगारी में वृद्धि, और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारी गिरावट ने देशों को संरक्षणवादी नीतियां अपनाने पर मजबूर कर दिया। देशों ने अपने बाजारों को बचाने के लिए आयात शुल्क बढ़ा दिए, जिससे वैश्विक व्यापार लगभग समाप्त हो गया।
ii) कर्ज और क्षतिपूर्ति का चक्र :- प्रथम विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी पर भारी क्षतिपूर्ति का बोझ था, जिसे चुकाने के लिए उसे अमेरिका से ऋण लेना पड़ा। बदले में, अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन को दिए गए युद्ध ऋणों की वापसी की मांग की। यह एक ऐसा आर्थिक चक्र था जो अस्थिर था और महामंदी के बाद पूरी तरह से टूट गया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग की भावना को गहरा धक्का लगा।
iii) आर्थिक संकट और राजनीतिक उग्रवाद :- महामंदी ने लाखों लोगों को गरीबी और बेरोजगारी की खाई में धकेल दिया। इससे लोगों में मौजूदा लोकतांत्रिक सरकारों के प्रति गुस्सा और असंतोष बढ़ा, जिसने फासीवादी और नाजीवादी पार्टियों के लिए जनता का समर्थन जुटाना आसान कर दिया। हिटलर ने जर्मनी की आर्थिक परेशानियों को दूर करने का वादा करके सत्ता हासिल की, और जापान ने अपने साम्राज्य का विस्तार करके आर्थिक संसाधनों को सुरक्षित करने की कोशिश की।
iv) सरकारी हस्तक्षेप :- 19वीं सदी के उदारवादी पूंजीवाद के विपरीत, इस कालखंड में राज्यों ने अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। अमेरिका में “न्यू डील” (New Deal) जैसे कार्यक्रम और जर्मनी तथा इटली में युद्ध की तैयारी के लिए आर्थिक नीतियों ने सरकारी नियंत्रण को बढ़ाया।

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