Bihar Board Class 12th Geography : प्रिय विद्यार्थीयों, “Mindbloom Study” (#1 Online Study Portal For Bihar Board Exams) आपके लिए लाया है बिहार बोर्ड कक्षा 12 भूगोल अध्याय 1 “मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र” का One liner Objective & Subjective Questions
One Liner Objectives
- पृथ्वी के दो प्रमुख घटक हैं ? उत्तर — भौतिक और मानवीय
- भौतिक भूगोल किसका अध्ययन करता है ? उत्तर — भौतिक पर्यावरण का
- मानव भूगोल किसका अध्ययन करता है ? उत्तर — भौतिक / पर्यावरण एवं मानवीय जगत के बीच संबंध, मानवीय परिघटनाओं का स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारण एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का
- जर्मन भूगोलवेत्ता राज्य/देश का वर्णन किसके रूप में करते हैं ? उत्तर — जीवित जीव
- “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है।” मानव भूगोल की यह परिभाषा किसने दी है ? उत्तर — रैटज़ेल
- “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।” मानव भूगोल की यह परिभाषा किसने दी है ? उत्तर — एलन सी. सेंपल
- किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है ? उत्तर — प्रौद्योगिकी
- प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है ? उत्तर — प्रकृति का ज्ञान
- आदिम मानव समाज और प्रकृति की प्रबल शक्तियों के बीच की अन्योन्यक्रिया को क्या कहा गया है ? उत्तर — पर्यावरणीय निश्चयवाद
- आदिम समाजों के लिए भौतिक पर्यावरण किसका रूप धारण करता है ? उत्तर — ‘माता-प्रकृति’ का
- ‘नवनिश्चयवाद’ अथवा ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ की संकल्पना किसने प्रस्तुत की है ? उत्तर — भूगोलवेत्ता ग्रिफ़िथ टेलर
- पर्यावरणीय निश्चयवाद और संभववाद के बीच मध्य मार्ग को परिलक्षित कौन करता है ? उत्तर — नवनिश्चयवाद
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं के द्वारा चली गई मुक्त चाल के परिणामस्वरूप हैं ? उत्तर — हरितगृह प्रभाव, ओज़ोन परत अवक्षय, भूमंडलीय तापन, पीछे हटती हिमनदियाँ, निम्नीकृत भूमियाँ इत्यादि।
Subjective Answer Question
2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :
(i) मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर — मानव भूगोल वह विज्ञान है जिसके अन्तर्गत मनुष्य और उनके भौतिक पर्यावरण के मध्य संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
• कुमारी एलेन सेम्पल ने मानव भूगोल को परिभाषित करते हुए लिखा है, “मानव भूगोल क्रियाशील मानव और अस्थायी पृथ्वी के परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।”
• रैटजेल की परिभाषा – “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है।”
• ब्लाश की आधुनिक परिभाषा- “हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य संबंधों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना मानव भूगोल है।”
(ii) मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए ।
उत्तर — मानव भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से
लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ संबंधों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल के छः भिन्न क्षेत्र है –
(a) सामाजिक भूगोल,
(b) राजनीतिक भूगोल,
(c) नगरीय भूगोल,
(d) आवास भूगोल,
(e) जनसंख्या भूगोल,
(f) आर्थिक भूगोल ।
(iii) मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है ?
उत्तर — मानव भूगोल एक अंतःविषयक क्षेत्र है जो मनुष्यों और उनके पर्यावरण के बीच जटिल अंतःक्रियाओं को समझने के लिए विभिन्न सामाजिक विज्ञानों पर आधारित है। समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, मानव विज्ञान और मनोविज्ञान से अंतर्दृष्टि को मिलाकर, मानव भूगोलवेत्ता मानव व्यवहार, सामाजिक प्रक्रियाओं और स्थानिक स्वरूपों की समग्र समझ प्राप्त करते हैं। यह बहुआयामी दृष्टिकोण हमारे ज्ञान को बढ़ाता है और मनुष्यों और उनके परिवेश के बीच गतिशील संबंध के व्यापक विश्लेषण की अनुमति देता है।
3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर — प्रकृति और मानव के बीच संबंधों के अध्ययन में मानवीय गतिविधियाँ एवं क्रियाकलाप जब प्रकृति से नियंत्रित एवं निर्देशित होते हैं तब उसे मानव का प्राकृतीकरण कहा जाता है। वस्तुतः, यह मानव के सामाजिक विकास की आदिम अवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। तकनीकी विकास का स्तर निम्न होने के कारण प्राकृतिक पर्यावरण से अंतःक्रिया करके मानव इससे अत्यधिक प्रभावित हुआ। उसने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने को ढाल लिया। इस अवस्था में वह प्रकृति को सुनता था, उसकी प्रचंडता से भयभीत होता था उसकी पूजा भी करता था। आरंभिक अवस्था में मनुष्य उन्हीं स्थानों पर बसा, जहाँ उसके लिए स्वास्थ्यकर जलवायु, पानी की सुविधा एवं उपजाऊ मिट्टी मौजूद थे। मानव की सामाजिक क्रियाओं एवं व्यवहारों पर भी वातावरण का प्रभाव आज प्रमाणित किया जा चुका है। मानव एवं प्रकृति के इस संबंध को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहा गया है। आज भी कई आदिम या जनजातीय समाज इसका प्रतिनिधित्व करते हैं।
(ii) मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर — अमेरिकी भूगोलवेत्ता फिंच और ट्रिवार्था ने मानव भूगोल की विषय-वस्तु को मुख्यतः दो भागों में बाँटा है –
1. भौतिक या प्राकृतिक पर्यारण (Physical or Natural environment) :- इसके लक्षण निम्नलिखित हैं –
(i) इसके अन्तर्गत भौतिक लक्षण जैसे जलवायु, धरातलीय उच्चावच एवं अपवाह प्रणाली आदि का अध्ययन किया जाता है।
(ii) प्राकृतिक संसाधन जैसे मृदा, खनिज, जल, वन एवं वन्य प्राणी आदि भी भौतिक पर्यावरण के अंग हैं।
2. सांस्कृतिक या मानव-निर्मित पर्यावरण (Cultural or Human made environment) :- इसके अन्तर्गत मानव-निर्मित पर्यावरण का बोध होता है। इसके लक्षण निम्नलिखित हैं –
(i) मानव जनसंख्या, मानव बस्तियाँ तथा मानव व्यवसाय आदि आते हैं।
(ii) विभिन्न उद्योग, कृषि, पशुचारण, परिवहन, संचार आदि भी इसमें सम्मिलित होते हैं।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
Q) नव-नियतिवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर — प्रकृति ने मानव को विकास के भरपूर अवसर प्रदान किये हैं परन्तु मानव इनका एक सीमा तक प्रयोग कर सकता है। इसलिए संभववाद पर कई विद्वानों ने आलोचना की है। ग्रिफिथ टेलर ने इस आलोचना द्वारा नव-नियतिवाद की विचारधारा प्रस्तुत की। उनके अनुसार भूगोलवेत्ता का कार्य एक परामर्शदाता का है न कि प्रकृति की आलोचना करने का है। यह निश्चयवाद तथा संभववाद में एक मध्यमार्ग है। इसे ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ (Stop and Go determinism) कहते हैं।
Q) निश्चयवाद और संभववाद के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
या, संभववाद (Possibilism) क्या है ?
उत्तर — निश्चयवाद (Determinism) :- निश्चयवाद, पर्यावरणीय निश्चयवाद या नियतिवाद एक पुरानी विचारधारा है। इसके अनुसार विकास की प्रांरभिक अवस्था में मानव प्राकृतिक वातावरण से अधिक प्रभावित हुआ और उन्होंने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आपको ढाल लिया। इसका कारण यह है कि मानव के सामाजिक विकास की अवस्था आदिम थी और प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यन्त निम्न था। उस अवस्था में मानव प्रकृति की सुनता था, उनकी प्रचंडता से भयभित होता था और उसकी पूजा करता था। इसमें मनुष्य का स्थान गौण था।
संभववाद (Possibilism) :- इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक संभावनाओं का इच्छानुसार अपने लिए उपयोग कर सकता है। मानव एवं पर्यावरण के परस्पर संबंध में यह विचारधारा मानव केन्द्रित है।
Q) नव निश्चयवादी विचारधारा क्या है ?
उत्तर — नव-निश्चयवादी विचारधारा निश्चयवाद और सम्भववाद के मध्य की विचारधारा है। ग्रिफिथ टेलर इस विचारधारा के प्रतिपादक हैं। उनके अनुसार मानव निश्चित सीमा तक ही पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है। इसी प्रकार पर्यावरण मानव की बुद्धि व कुशलता को प्रभावित करने में एक सीमा तक सक्षम होता है। इसीलिए ग्रिफिथ टेलर ने निश्चयवाद का संशोधन करके उसे ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ (Stop and Go Determinism) के रूप में ‘नव-निश्चयवाद’ का स्वरूप प्रदान किया।
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