संविधान की अनुसूचियाँ
• हमारे मूल संविधान में 8 अनुसूची थी किन्तु वर्तमान में इसकी संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
प्रथम अनुसूची (अनुच्छेद 1 एवं 4)
• इसमें राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र की चर्चा है।
दूसरी अनुसूची (अनुच्छेद 59, 65, 75, 97, 125, 148, 158, 164, 186 एवं 221)
• इसमें विभिन्न पदाधिकारियों जैसे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उप-सभापति, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल के वेतनभत्ता की चर्चा है।
प्रमुख पद एवं उनके वेतनभत्ता
1) राष्ट्रपति (अनुच्छेद 59)→ 5 लाख रुपये / माह
2) उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 65)→ 4 लाख रुपये / माह
3) लोकसभा अध्यक्ष (अनुच्छेद 97)→ 4 लाख रुपये / माह
4) राज्यपाल (अनुच्छेद 158), लोकसभा उपाध्यक्ष, उप-सभापति (अनुच्छेद 97)→ 3.5 लाख रुपये / माह
5) सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश/उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश/CAG/UPSC अध्यक्ष/RBI गवर्नर → 2.5 लाख रुपये / माह
6) उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश/UPSC के सदस्य/कैबिनेट के मुख्य सचिव/मंत्रालय का सचिव/चुनाव आयोग/RBI के डिप्टी गवर्नर → 2.25 लाख रुपये / माह
तीसरी अनुसूची (अनुच्छेद 75, 84, 99, 124, 146, 173, 188 एवं 219)
• इसमें विभिन्न प्रकार के पदाधिकारियों की शपथ की चर्चा है।
• ये पदाधिकारी हैं –
1. संघ के मंत्री (अनुच्छेद 75)
2. संसद के निर्वाचन के लिए प्रत्याशी
3. संसद सदस्य (अनुच्छेद 99)
4. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (अनुच्छेद 124)
5. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 146)
6. राज्य के मंत्री
7. राज्य विधानमंडल के निर्वाचन हेतु प्रत्याशी
8. राज्य विधानमंडल के सदस्य (अनुच्छेद 173)
9. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (अनुच्छेद 219)
Note :- इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल के शपथ की चर्चा नहीं है। इन तीनों का उल्लेख क्रमशः अनुच्छेद 60, 69 तथा 159 में उल्लिखित है।
चौथी अनुसूची (अनुच्छेद 4 एवं 80)
• इसमें राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेश (दिल्ली एवं पुडुचेरी) के लिए राज्यसभा में सीटों की चर्चा है।
पाँचवी अनुसूची (अनुच्छेद 244)
• इसमें अनूसूचित जाति एवं जनजाति के प्रशासन के संबंध में चर्चा है।
• किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति को है।
• पाँचवी अनुसूची के तहत जनजातीय क्षेत्रों में शासन-प्रशासन चलाने को लेकर जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन भारत के राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है। इस परिषद में 20 सदस्य होते हैं जिसमें से तीन-चौथाई सदस्य संबंधित राज्य के विधानसभा के निर्वाचित अनुसूचित जनजातियों में से होता है।
छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244 एवं 275)
• इस अनुसूची में पूर्वोत्तर भारत के चार राज्यों – असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन की चर्चा है।
• छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तशासी जिला परिषद का गठन किया जाता है। स्वायत्तशासी जिला परिषद में 30 सदस्य होते हैं जिसमें से 4 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनित होते हैं तो वहीं 26 सदस्यों का चुनाव वयस्क मताधिकार के अनुसार होता है।
सातवीं अनुसूची (अनुच्छेद 246)
• इस अनुसूची में शक्तियों के विभाजन की चर्चा है ।
• शक्तियों का विभाजन निम्न तीन अनुसूचियों में किया गया है –
i) संघ सूची (Union List) :- संघ सूची के विषयों पर केवल केन्द्र सरकार (संसद) को कानून बनाने का अधिकार होता है। इस सूची में मूल विषय 97 थे परंतु वर्तमान में 100 है। इस सूची के प्रमुख विषय परमाणु ऊर्जा, भारत की रक्षा और रक्षा उद्योग, केन्द्रीय आसूचना और अन्वेषण ब्यूरो, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र संघ, विदेशी कार्य, विदेशों से संधि करना, युद्ध और शांति, पासपोर्ट और वीजा, रेल, राष्ट्रीय राजमार्ग, बड़े बंदरगाह, RBI, डाक घर बचत बैंक, बैंकिंग, विदेशों के साथ व्यापार और वाणिज्य, बीमा, स्टॉक एक्सचेंज, विनिमय पत्र (चेक), पेटेंट, निगम कर, राष्ट्रीय महत्व के घोषित स्थल, जनगणना, संचार इत्यादि शामिल हैं।
ii) राज्य सूची (State List) :- राज्य सूची के विषयों पर राज्य सरकार (विधान मंडल) को कानून बनाने का अधिकार होता है। इस सूची में मूल विषय 66 थे परंतु वर्तमान में 61 है। इस सूची के प्रमुख विषय लोकव्यवस्था, पुलिस, कारागार या जेल, स्थानीय शासन, लोक स्वास्थ्य और स्वच्छता, कृषि, उद्योग, मत्स्यन, पथकर (Toll Tax), मनोरंजन पर कर, कब्रिस्तान और श्मशान इत्यादि है।
iii) समवर्ती सूची (Concurrent List) :- समवर्ती सूची के विषयों पर क़ानून केन्द्र तथा राज्य सरकार दोनों में से कोई भी बना सकता है लेकिन अगर इस सूची के किसी विषय पर कानून राज्य विधान मंडल और संसद दोनों बनाता है तो संसद द्वारा बनाया गया कानून मान्य होगा। इस सूची में मूल विषय 47 थे परंतु वर्तमान में 52 है। इस सूची के प्रमुख विषय विवाह एवं विवाह विच्छेद, न्यास, दंड विधि और दंड प्रक्रिया संहिता, संपत्ति का अर्जन और अधिग्रहण, समाचार पत्र, पुस्तकें और मुद्रणालय, विद्युत, कारखाने, पशुओं के प्रति क्रुरता का निवारण, आर्थिक और समाजिक योजना, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन, व्यापार संघ और श्रम विवाद, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि है।
Note :- 42वाँ संविधान संशोधन 1976 द्वारा राज्य सूची के पाँच विषय को समवर्ती सूची में डाल दिया गया हैं जो निम्न है –
1. शिक्षा
2. जनसंख्या नियंत्रण
3. माप-तौल
4. वन एवं वन्य जीव अभ्यारण्य
5. न्याय प्रशासन
• अवशिष्ट सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।
आठवीं अनुसूची (अनुच्छेद 344 एवं 351)
• इसमें राजभाषा का उल्लेख हैं। प्रारंभ में इस सूची में 14 भाषा थी। किन्तु वर्तमान में 22 भाषा को मान्यता प्राप्त है। प्रारंभिक निम्न 14 भाषाएँ थी –
1) संस्कृत
2) हिन्दी
3) उर्दू
4) कश्मीरी
5) पंजाबी
6) गुजराती
7) मराठी
8) कन्नड़
9) मलयालम
10) तमिल
11) तेलुगू
12) उड़िया
13) बांग्ला
14) आसमिया
• 21वाँ संविधान संशोधन 1967 के तहत सिंधी भाषा को 15वें राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया।
• 71वाँ संविधान संशोधन 1992 के तहत नेपाली, मणिपुरी और कोंकण (Trick = नमक) को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया।
• 92वाँ संविधान संशोधन 2003 के तहत बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली (Trick = BoDMaS) को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया।
Note :- अंग्रेजी आठवीं अनुसूची के अंतर्गत नहीं आता है।
9वीं अनुसूची (अनुच्छेद 31B)
• इसे प्रथम संविधान संशोधन द्वारा 1951 में जोड़ा गया। इसमें भूमि, जमींदार, उन्नमूलन एवं न्यायिक सक्रियता की चर्चा है।
10वीं अनुसूची (अनुच्छेद 102 एवं 191)
• इस अनुसूची को 52वाँ संविधान संशोधन 1985 द्वारा जोड़ा गया। इसमें दल-बदल की चर्चा है। 91वें संविधान संशोधन 2003 द्वारा इसमें संशोधन किया गया। इसे ‘दल-बदल विरोधी कानून’ भी कहा जाता है।
11वीं अनुसूची (अनुच्छेद 243G)
• इस अनुसूची को 73वाँ संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़ा गया। इसमें पंचायत की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व की चर्चा है। इसमें 29 विषय है। जैसे- ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास, बाजार एवं मेला, पुस्तकालय, मत्स्य उद्योग इत्यादि।
12वीं अनुसूची (अनुच्छेद 243W)
• इस अनुसूची को 74वाँ संविधान संशोधन द्वारा 1992 द्वारा जोड़ा गया। इसमें नगरपालिकाओं की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व की चर्चा है। इसमें 18 विषय है। जैसे- नगरीय योजना, सड़कें एवं पुल, पर्यावरण संरक्षण, नगरीय निर्धनता उन्मूलन इत्यादि।
भारतीय संविधान का स्रोत
• भारतीय संविधान के मूलतः दो स्रोत है –
i) आंतरिक :- आंतरिक स्रोत के अंतर्गत ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियमों को रखा जाता है। ब्रिटिश संसद ने 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से लेकर 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम तक कई अधिनियम पारित किया। इन अधिनियमों में भारतीय संविधान पर सबसे ज्यादा प्रभाव भारत शासन अधिनियम 1935 का पड़ा है।
ii) बाह्य स्रोत :- विश्व के अन्य देशों से जो प्रावधान भारतीय संविधान में शामिल किए गए हैं उसे बाह्य स्रोत के अंतर्गत रखा जाता है।
• ब्रिटेन — एकल नागरिकता, संसदीय प्रणाली, विधि का शासन, विधायी प्रक्रिया, मंत्रिमंडल प्रणाली, संसदीय संप्रभुता, चुनाव में सर्वाधिक मत प्राप्त होने पर विजेता घोषित कर दिया जाना, संवैधानिक तौर पर राष्ट्रपति की स्थिति, परमाधिकार लेख।
• अमेरिका — मौलिक अधिकार, उप-राष्ट्रपति का पद, राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रक्रिया, स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का पद से हटाया जाना, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायिक पुनर्विलोकन, जनहित याचिका, दबाव समूह, न्यायिक सक्रियता, प्रस्तावना का विचार।
• ऑस्ट्रेलिया — प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, भारत के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता।
• आयरलैंड — राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत (DPSP), राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र से 12 सदस्यों का राज्यसभा में मनोनयन, राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया, राज्य सभा के लिए सदस्यों का नामांकन।
• दक्षिण अफ्रीका — संविधान में संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रक्रिया।
• सोवियत संघ (रूस) — मौलिक कर्तव्य, प्रस्तावना में न्याय (सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक) का आर्दश।
• फ्रांस — गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली, प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के आदर्श।
• जर्मनी का वाइमर संविधान — आपातकाल के समय मौलिक अधिकारों का स्थगन।
• कनाडा — राज्यपाल की नियुक्ति, सशक्त केन्द्र के साथ संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का केन्द्र में निहित होना, उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन, शक्तियों का विभाजन, अर्द्ध-संघात्मक शासन प्रणाली।
• जापान — विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया।
NOTE
• मूलतः आपातकालीन प्रावधान भारत शासन अधिनियम 1935 से लिया गया है तथा आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ेंगे यह जर्मनी से लिया गया हैं।
• आयरलैंड के संविधान में DPSP के प्रावधान स्पेन देश से लिए गए हैं।
• भारतीय संविधान में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची संबंधी प्रावधान भारत शासन अधिनियम से लिए गए हैं लेकिन अगर प्रश्न में सिर्फ समवर्ती सूची के विषय में पूछे तो उसका उत्तर ऑस्ट्रेलिया होगा। किंतु तीनों सूचियों के विषय में पूछे तो उत्तर भारत शासन अधिनियम 1935 होगा।
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