क्लास 10th राजनीतिकशास्त्र अध्याय 1 “लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी” का पुरा Solutions

Bihar Board Class 10 Political Science : प्रिय विद्यार्थीयों, “BiharBoard Official” (#1 Online Study Portal For Bihar Board Exams) आपके लिए लाया है बिहार बोर्ड कक्षा 10 राजनीतिकशास्त्र अध्याय 1 “लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी” का पुरा Solutions

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions)

1. सत्ता में साझेदारी किस व्यवस्था में सर्वश्रेष्ठ रुप से संभव है ?
(A) राजतंत्र                   
(B) तानाशाही       
(C) लोकतंत्र                  
(D) सैनिक शासन

2. लोगों की विभिन्न प्रकार की सामाजिक आकांक्षाएँ जब आपस में टकराव उत्पन्न करती है तो उसे क्या कहते हैं ?
(A) द्वंद्व         
(B) युद्ध          
(C) गृहयुद्ध         
(D) कट्टरता

3. भारत का वित्तीय राजधानी किस शहर को कहा जाता है ?
(A) दिल्ली       
(B) मुम्बई        
(C) चेन्नई       
(D) कोलकाता

4. “गरीब भैया” किसे कहा जाता है ?
(A) उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के उड़िया-भाषी लोगों को         
(B) दक्षिण भारत के तमिल-भाषी लोगों को        
(C) महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मराठी-भाषी लोगों को        
(D) बिहार और उत्तर प्रदेश के हिन्दी-भाषी लोगों को

5. मैक्सिको ओलपिंक कब हुआ था ?
(A) 2020       
(B) 1968        
(C) 1976       
(D) 2016

6. बेल्जियम की राजधानी कहाँ है ?
(A) टोक्यो       
(B) पेरिस        
(C) ब्रुसेल्स       
(D) बर्लिन

7. भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का उदय कब हुआ था ?
(A) 1960 के बाद            
(B) 1990 के बाद        
(C) 1980 के बाद            
(D) 2000 के बाद

8. बेल्जियम के फ्लेमिश इलाके में रहने वाले लोग किस भाषा को बोलते है ?
(A) फ्रेंच         
(B) जर्मन        
(C) डच        
(D) अंग्रेजी

9. बेल्जियम के बेलोनिया इलाके में रहने वाले लोग किस भाषा को बोलते है ?
(A) फ्रेंच         
(B) जर्मन        
(C) डच        
(D) अंग्रेजी

10. बेल्जियम में किस भाषा के लोग ज्यादा समृद्ध है ?
(A) फ्रेंच भाषी              
(B) जर्मन भाषी        
(C) डच भाषी              
(D) अंग्रेजी भाषी

11. टोमी स्थिम किस देश के धावक थे ?
(A) अमेरिका      
(B) फ्रांस      
(C) ब्रिटेन       
(D) ऑस्ट्रेलिया

12. “धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता” यह किसने कहा था ?
(A) जवाहरलाल नेहरू ने         
(B) भीमराव अम्बेडकर ने        
(C) गाँधीजी ने                  
(D) मेघा पाटेकर ने

13. भारत का राष्ट्रीय धर्म क्या है ?
(A) हिन्दू       
(B) ईस्लाम       
(C) ईसाई       
(D) धर्मनिरपेक्ष

14. पाकिस्तान का राष्ट्रीय धर्म क्या है ?
(A) हिन्दू       
(B) ईस्लाम       
(C) ईसाई       
(D) धर्मनिरपेक्ष

15. इंग्लैंड का राष्ट्रीय धर्म क्या है ?
(A) बौद्ध       
(B) ईस्लाम       
(C) ईसाई       
(D) धर्मनिरपेक्ष

16. सिंहली भाषा कहाँ बोली जाती है ?
(A) पाकिस्तान    
(B) बेल्जियम    
(C) बांग्लादेश     
(D) श्रीलंका

17. सर्वप्रथम किस देश में महिलाओं को वोट का अधिकार प्राप्त हुआ था ?
(A) भारत      
(B) इंग्लैंड      
(C) अमेरिका      
(D) पाकिस्तान

18. निम्न में से किस देश में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं का भागीदार का स्तर काफी ऊँचा है ?
(A) स्वीडेन      
(B) नार्वे       
(C) फिनलैंड      
(D) इनमें सभी

19. भारत के लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों का प्रतिशत है ?
(A) 5% से भी कम            
(B) 15% से भी कम       
(C) 33% से भी कम          
(D) 50% से भी कम

20. निम्नलिखित व्यक्तियों में कौन लोकतंत्र में रंगभेद के विरोधी नहीं थे?
(A) किंग मार्टिन लुथर    
(B) महात्मा गांधी    
(C) ओलंपिक धावक टोमी स्थिम एवं जॉन कॉर्लेस     
(D) जेड गुडी

21. भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है ?
(A) लोकसभा                  
(B) विधानसभा    
(C) पंचायती राज्य संस्थाएँ     
(D) मंत्रिमंडल

22. जाति पर आधारित विभाजन सिर्फ कहाँ है ?
(A) भारत में                 
(B) चीन में        
(C) अमेरिका में              
(D) बेल्जियम में

23. भारत में भाषा के आधार पर पहली बार राज्यों का पुनर्गठन कब किया गया था ?
(A) 1952       
(B) 1956        
(C) 1960       
(D) 1966

24. भाषाई आधार पर बनने वाला प्रथम राज्य था ?
(A) महाराष्ट्र     
(B) गुजरात     
(C) हरियाणा     
(D) आंध्र प्रदेश

25. लिंग के आधार पर पुरुषों और महिलाओं में विभेद करना क्या कहलाता है ?
(A) रंग भेद                 
(B) लैंगिक विभेद      
(C) जाति भेद              
(D) साम्प्रदायिकवाद

26. मनुष्यों में गोरे और काले रंग के आधार पर विभेद करना क्या कहलाता है ?
(A) रंग भेद                 
(B) लैंगिक विभेद      
(C) जाति भेद               
(D) साम्प्रदायिकवाद

27. सामाजिक विभेदों का सबसे बुरा परिणाम क्या होता है ?
(A) गृहयुद्ध प्रारंभ हो जाना               
(B) देश के आर्थिक विकास अवरुद्ध हो जाना     
(C) देश के विखंडन का प्रारंभ हो जाना             
(D) इनमें से कोई नहीं

28. The Liberation Tigers of Tamil Eelam (LTTE) कहा का संगठन था ?
(A) पाकिस्तान    
(B) बेल्जियम    
(C) बांग्लादेश     
(D) श्रीलंका

29. LTTE की स्थापना कब हुई थी ?
(A) 1972      
(B) 1955      
(C) 1988       
(D) 2009

30. स्वतंत्रता का अधिकार संविधान के किस अनुच्छेद में दिया गया है ?
(A) अनुच्छेद 15 में            
(B) अनुच्छेद 19 में      
(C) अनुच्छेद 243 में         
(D) अनुच्छेद 352 में

31. जाति का आधार होता है ?
(A) जीवशस्त्री    
(B) सामाजिक    
(C) आर्थिक   
(D) राजनीतिक

32. टोमी स्थिम और जॉन कार्लोस थे ?
(A) इंडो-अमेरिकी (अश्वेत)      
(B) एफ्रो-अमेरिकी (अश्वेत)      
(C) श्वेत अमेरिकी                
(D) श्वेत ऑस्ट्रेलियन

33. सर्वप्रथम इंग्लैंड में कब महिलाओं को वोट का अधिकार प्राप्त हुआ ?
(A) 1908      
(B) 1918      
(C) 1928       
(D) 1947

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long-Answer Question)

1) हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रुप नहीं लेती। कैसे ?
उत्तर — यह कथन बिल्कुल सत्य है कि हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेता है। अलग-2 समुदायों के विचार भिन्न हो सकते है परन्तु उनका हित एक समान होता है। उदाहरण के लिए मुम्बई में मराठीयों के हिंसा के शिकार व्यक्तियों की जातियाँ भिन्न थे, धर्म भिन्न होंगे तथा लिंग भिन्न हो सकता है। परन्तु उनका क्षेत्र एक ही था। वे सभी उत्तर भारत के थे। उनका हित समान था। वे सभी अपने व्यवसाय और पेशा में संलग्न थे । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती।

2) सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रुप ले लेते हैं ?
उत्तर — सामाजिक अंतर एवं सामाजिक विभाजन में बहुत बड़ा अन्तर पाया जाता है। सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। सवर्णों और दलितों का अंतर एक सामाजिक विभाजन है, क्योंकि दलित सम्पूर्ण देश में आमतौर पर गरीब, वंचित एवं बेघर हैं और भेदभाव के शिकार हैं जबकि सवर्ण आमतौर पर सम्पन्न एवं सुविधायुक्त हैं। अर्थात् दलितों को महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं। अतः हम कह सकते हैं कि जब एक तरह का सामाजिक अन्तर अन्य अन्तरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है। जैसे- अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का अन्तर सामाजिक विभाजन है।

3) ‘सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणामस्वरूप ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है’। भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में इसे स्पष्ट करें।
उत्तर — सामाजिक विभाजन दुनिया के अधिकतर देशों में किसी-न-किसी रूप में मौजूद है और यह विभाजन राजनीतिक रूप अख्तियार करती ही है। लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के लिए सामाजिक विभाजनों की बात करना और विभिन्न समूहों से अलग-अलग वायदे करना स्वाभाविक बात है। अगर भारत में पिछड़ों एवं दलितों के प्रति न्याय की मांग को सरकार शुरू से खारिज करती रहती है तो आज भारत विखंडन के कगार पर होता। लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वस्थ राजनीतिक का लक्षण भी है। राजनीति में विभिन्न तरह के सामाजिक विभाजन की अभिव्यक्ति ऐसे विभाजनों की बीच संतुलन पैदा करने का भी काम रहती है। परिणामतः कोई भी सामाजिक विभाजन एक हद से ज्यादा उग्र नहीं हो पाता और यह प्रवृत्ति लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक भी होता है। लोग शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से अपनी मांगो को उठाते हैं और चुनावों के माध्यम से उनके लिए दबाव बनाते हैं। उनका समाधान पाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक विभाजन की राजनीति के फलस्वरूप भारतीय लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है।

4) सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर (सामाजिक न्याय के संदर्भ में) का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर — सत्तर के दशक के पहले भारत की राजनीति सवर्ण समूहों के हाथों में थी। सत्तर से नब्बे तक के दशक के बीच पिछड़ी जातियों का वर्चस्व तथा दलितों की जागृति की अवधारणाएँ राजनीतिक गलियारों में उपस्थित दर्ज कराती रहीं और नीतियों को प्रभावित करती रही। भारतीय राजनीति के इस महा-मंथन में पिछड़े और दलितों का संघर्ष प्रभावी रहा। आधुनिक दशक के वर्षों में राजनीति का पलड़ा दलितों और महा-दलितों (बिहार के संदर्भ में) के पक्ष में झुकता दिखाई दे रहा है। 2014 के बाद से भारत में हिंदु राष्ट्र की कल्पना के तहत एक बार फिर बहुमत की सरकार बनी।

5) सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन-किन चीजों पर निर्भर करता है ?
उत्तर — सामाजिक विभाजन की राजनीति तीन चीजों पर निर्भर करती है जो निम्नलिखित हैं —
1) स्वयं की पहचान पर
2) विभिन्न वर्गों के माँगों को राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तुत करने के तरीके पर
3) सरकार की इन माँगों के प्रति सोच पर

6) सामाजिक विभाजनों को संभालने के संदर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता ?
(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया (Reflection) राजनीति पर भी पड़ता है।
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना संभव है।
(ग) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल (accommodate) करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों ने आधार पर ( on the basis of social division) समाज के विखंडन (disintegration) की ओर ले जाता है।

7) निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें –
(क) जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं (social difference overlap) , वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ख) यह संभव है एक व्यक्ति की कई पहचान (mutiple identities) हो।
(ग) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही है –
(अ) क, ख और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) सिर्फ ग

8) निम्नलिखित व्यक्तियों में कौन लोकतंत्र में रंगभेद के विरोधी नहीं थे।
(A) किंग मार्टिन लुथर    
(B) महात्मा गांधी    
(C) ओलंपिक धावक टोमी स्थिम एवं जॉन कॉर्लेस     
(D) जेड गुडी

9) निम्नलिखित का मिलान करें–
(क) पाकिस्तान               (अ) धर्मनिरपेक्ष
(ख) हिन्दुस्तान               (ब) ईस्लाम
(ग) इंगलैंड                    (स) प्रोटेस्टेंट

उत्तर — (क) → (ब),  (ख) → (अ), (ग) → (स)

10) भावी समाज में लोकतंत्र का जिम्मेवारी और उद्देश्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर — भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेदारी और उद्देश्य पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होने वाले हैं। तकनीकी प्रगति, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती असमानता और जटिल वैश्विक चुनौतियों के दौर में, लोकतंत्र को न केवल जीवित रहना है, बल्कि एक अधिक समावेशी, न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेदारी एक अधिक सक्रिय, समावेशी, जवाबदेह और टिकाऊ शासन प्रणाली का निर्माण करना होगा, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देना होगा। यह एक सतत प्रक्रिया होगी जिसमें नागरिकों, सरकारों और नागरिक समाज संगठनों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक होगी।

11) भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी है ? स्पष्ट करें।
उत्तर — जातिवाद भारत की एक मुख्य सामाजिक समस्या है। जाति-व्यवस्था से ही समाज में ऊँच-नीच की भावना पैदा हुई। कर्म के आधार पर विकसित जाति-व्यवस्था जन्म के आधार को गले लगा ली जिसका समाज पर बुरा प्रभाव पड़ा। आज जातिवाद केवल सामाजिक समस्या ही नहीं राजनीतिक समस्या भी बन गई है, क्योंकि जाति और राजनीतिक दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करने लगी है। रजनी कोठारी का कहना है कि राजनीति में जातीयता का इतना प्रभाव हो गया है कि ‘बेटी और वोट अपनी जाति को ही दो’।

12) क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते ? इसके दो कारण बतावें
उत्तर — भारत में सिर्फ जाति के आधार पर चुनावी नतीजे तय नहीं होने के दो कारण निम्न हैं —
i) किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का गठन इस प्रकार नहीं किया गया है कि उसमें मात्र एक जाति के मतदाता रहें। ऐसा हो सकता है कि एक जाति के मतदाता की संख्या अधिक हो सकती है, परन्तु दूसरे जाति के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
(ii) अगर जातीय भावना स्थायी और अटूट होती तो जातीय गोल-बंदी पर सत्ता में आने वाली पार्टी की कभी हार नहीं होती है।

13) विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्योरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर — विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्योरा निम्नलिखित हैं –
i) बहुसंख्यकवाद (Majoritarianism) :– यह उस विचारधारा पर आधारित है कि बहुसंख्यक समुदाय को देश पर शासन करने का विशेष अधिकार होना चाहिए और अल्पसंख्यक समुदायों को बहुसंख्यक संस्कृति और मूल्यों को स्वीकार करना चाहिए। यह अक्सर बहुसंख्यक समुदाय की भाषा, धर्म और संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान के रूप में स्थापित करने का प्रयास करता है, जिससे अल्पसंख्यक हाशिए पर महसूस कर सकते हैं।
उदाहरण : भारत में, कुछ हिंदू राष्ट्रवादी समूह यह विचार रखते हैं कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और अन्य धार्मिक समुदायों को हिंदू संस्कृति के अनुरूप रहना चाहिए। यह अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाइयों के प्रति भेदभावपूर्ण नीतियों और बयानों में प्रकट होता है।
ii) अल्पसंख्यकवाद (Minoritarianism) / अल्पसंख्यक तुष्टीकरण (Minority Appeasement) :– यह राजनीति अल्पसंख्यक समुदायों को विशिष्ट लाभ या रियायतें देकर उनका समर्थन हासिल करने का प्रयास करती है। हालांकि इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और समावेशन सुनिश्चित करना हो सकता है, लेकिन इसे अक्सर बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अनुचित लाभ के रूप में देखा जाता है और यह सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकता है।
उदाहरण : अतीत में, कुछ राजनीतिक दलों पर वोट बैंक की राजनीति के तहत मुस्लिम समुदाय को कुछ विशेष नीतियां या छूट देने का आरोप लगाया गया है, जैसे कि हज सब्सिडी या कुछ व्यक्तिगत कानूनों में हस्तक्षेप न करना। बहुसंख्यक समुदाय के कुछ वर्ग इसे ‘अल्पसंख्यक तुष्टीकरण’ कहते हैं।
iii) धार्मिक राष्ट्रवाद (Religious Nationalism) :– यह विचारधारा धर्म को राष्ट्रीय पहचान का एक अभिन्न अंग मानती है और अक्सर एक विशेष धर्म के मूल्यों और संस्कृति को राष्ट्रीय मूल्यों के रूप में स्थापित करने का प्रयास करती है। यह अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों को राष्ट्रीय पहचान के लिए खतरा या द्वितीयक नागरिक के रूप में देख सकता है।
उदाहरण : पाकिस्तान का निर्माण इस्लामी राष्ट्रवाद के आधार पर हुआ था, जहाँ इस्लाम को देश की पहचान और शासन का आधार माना जाता है। इसी तरह, इज़राइल को एक यहूदी राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ यहूदी धर्म राष्ट्रीय पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में भी कुछ समूह ‘हिंदू राष्ट्र’ की अवधारणा को बढ़ावा देते हैं, जो धार्मिक राष्ट्रवाद का एक रूप है।

14) जीवन के विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में है।
उत्तर — भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव और उनकी कमजोर स्थिति जीवन के कई पहलुओं में व्याप्त है।
i) जन्म और बचपन :– पितृसत्तात्मक मानसिकता और पुत्र की चाह के कारण, कई परिवारों में भ्रूण का लिंग परीक्षण कराकर मादा भ्रूण का गर्भपात करा दिया जाता है।
ii) शिक्षा :– हालांकि लड़कियों के शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन आज भी कई क्षेत्रों में लड़कों की तुलना में लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के कम अवसर मिलते हैं। उन्हें अक्सर घरेलू कामों में लगाया जाता है या बाल विवाह का शिकार बना दिया जाता है।
iii) राजनीतिक क्षेत्र :– संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है, हालांकि स्थानीय स्वशासन निकायों में आरक्षण के कारण उनकी भागीदारी बढ़ी है।
iv) उत्पीड़न और हिंसा :– सार्वजनिक और निजी दोनों स्थानों पर महिलाओं और लड़कियों को यौन उत्पीड़न और हिंसा का खतरा बना रहता है।
v) सामाजिक प्रतिबंध :– महिलाओं की गतिशीलता, पहनावे और सामाजिक मेलजोल पर कई तरह के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
                       यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में महिलाओं की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, खासकर शिक्षा और शहरी क्षेत्रों में। सरकार और विभिन्न संगठन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास कर रहे हैं।

15) भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
उत्तर — भारत की विधायिका में महिला प्रतिनिधियों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। भारत की विधायिका में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। जैसे लोकसभा में 14.36% महिला प्रतिनिधि है। राज्यों की विधान सभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5% से भी कम है। विकसित देशों में भी महिला प्रतिनिधियों की संख्या संतोषजनक नहीं है। जैसे नार्डिक देशों में 42.3%, अमेरीका में 29.5%, यूरोप में 26.4%, एशिया में 19.8%, पैसेफिक में 18.6% तथा अरब मुल्क में 15.6% ही महिला प्रतिनिधि है। इस समस्या को सुलझाने का एक तरीका तो निर्वाचित संस्थाओं में महिलाओं के लिए कानूनी रूप से एक उचित हिस्सा आरक्षित (reserves) कर देना है। स्थानीय सरकारों यानी पंचायतों और नगरपालिकाओं से एक तिहाई (बिहार में 50%) पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं।

16) किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाता है ?
उत्तर — हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना के लिए अनेक प्रावधान किये गये हैं जिनमें दो हैं —
1) हमारे देश में किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है।
2) हमारे संविधान के अनुसार धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक घोषित है।

17) जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है –
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर ।
(ख) समाज द्वारा स्त्रियों और पुरुषों को दी गई असमान भूमिकाएँ ।
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात ।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्था में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना ।

18) भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है–
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज्य संस्थाएँ

19) सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधि निम्न कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति किस पर आधारित है
(अ) एक धर्म दूसरे से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-सुखी साथ रहते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम रहने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

20) भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है–
(क्र) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बनाता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।

21) …जाति… पर आधारित विभाजन सिर्फ भारत में है।

22) सूची I और सूची II का मेल कराएँ :

I) अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की बराबरी माननेवाला व्यक्ति → (ख) नारीवादी
II) धर्म को समुदाय का मुख्य आधार माननेवाला व्यक्ति → (क) सांप्रदायिक
III) जाति को समुदाय का मुख्य आधार माननेवाला व्यक्ति → (घ) जातिवादी
IV) व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था पर आधार पर भेदभाव न करनेवाला व्यक्ति → (ग) धर्मनिरपेक्ष

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

Q) सामाजिक विभिन्नता से आप क्या समझते है ?
उत्तर — एक क्षेत्र में रहने वाले विभिन्न जाति, धर्म, भाषा, संप्रदाय के लोगों के बीच विभिन्नताएँ होती है, वे सामाजिक विभिन्नता कहलाती है। भारत जैसे विशाल देश में विविधता स्वाभाविक है। विभिन्नता को राष्ट्र की जीवन शक्ति बनाने के लिए विविधता में एकता, सामंजस्य, सहिष्णुता और सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता होती है। परंतु ये विभिन्नता जब वंश, रंग, जाति, धर्म, संप्रदाय, धन, क्षेत्र के आधार पर सामाजिक विभाजन, पृथकता और प्रतिद्वंद्विता का रूप ले लेते हैं तब पारस्परिक संघर्ष का कारण बन जाते हैं।

Q) गृहयुद्ध (Civil War) क्या है ?
उत्तर — जब देश के भीतर ही देश के लोगों के बीच संघर्ष एवं हिंसा शुरू हो जाती है तो इसे गृहयुद्ध का नाम दिया जाता है।

Q) लैंगिक विभेद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर — लिंग के आधार पर पुरुषों और महिलाओं में विभेद करना लैंगिक विभेद कहलाता है।

Q) रंग भेद क्या है ?
उत्तर — मनुष्यों में गोरे और काले रंग के आधार पर विभेद करना रंग भेद कहलाता है। अमेरिका में रंग भेद नीति का विरोध करने वाला पहला व्यक्ति मार्टिन लूथर किंग था। इन्हें “अमेरिका का गाँधी” भी कहा जाता है।

Q) सामाजिक विभेदों का सबसे बुरा परिणाम क्या होता है ?
उत्तर — सामाजिक विभेदों का सबसे बुरा परिणाम देश के विखंडन का प्रारंभ हो जाना होता है। यूगोस्लाविया इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

Q) भाषा नीति क्या है ?
उत्तर — किसी भी देश में भाषाओं के विकास एवं राष्ट्रीय एकता कायम रखने के लिए जो नीति बनाई जाती है उसे भाषा नीति कहते हैं। भारत के संविधान के 8वीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओं को रखी गई है।

Q) वर्ण-व्यवस्था क्या है ?
उत्तर — प्राचीन समय में समाज में पदानुक्रम (सीढ़ी जैसी) व्यवस्था थी, जिसके चार पायदान – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र थे। इसी व्यवस्था को वर्ण-व्यवस्था कहा जाता है।

Q) नस्लवाद क्या है ?
उत्तर — जब किसी देश में नागरिकों के बीच नस्लों के आधार पर भेदभाव हो तब उसे नस्लवाद कहते हैं । जैसे – दक्षिण अफ्रीका में श्वेत और अश्वेतों  के बीच भेदभाव।

Q) सांप्रदायिकता क्या है ?
उत्तर — जब समाज में एक धर्म के लोग दूसरे धर्म को छोटा एवं अपने धर्म को सर्वोच्च समझने लगते है तो समाज में धार्मिक आधार पर अलगाव उत्पन्न होती है। इसी अवधारणा को सांप्रदायिकता कहते हैं। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

– : समाप्त :–

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